Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: debt

केंद्र सरकार पर जीडीपी का 57.3 फीसदी कर्ज: वित्त मंत्री

केंद्र सरकार पर जीडीपी का 57.3 फीसदी कर्ज: वित्त मंत्री

देश, बिज़नेस
-सरकार के कर्ज या देनदारियां लगभग 155.8 लाख करोड़ रुपये अनुमानित नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि 31 मार्च तक केंद्र सरकार (Central government) के कर्ज या देनदारियां करीब 155.8 लाख करोड़ रुपये (Liabilities around Rs 155.8 lakh crore) है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) (Gross domestic product -GDP) का 57.3 फीसदी अनुमानित है। वित्त मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में नागेश्वर राव के एक सवाल के लिखित जवाब में बताया 31 मार्च तक केंद्र सरकार के कर्ज या देनदारियां लगभग 155.8 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से मौजूदा विनिमय दर के हिसाब से बाहरी कर्ज 7.03 लाख करोड़ रुपये है, जो जीडीपी का 2.6 फीसदी अनुमानित है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि विदेशी ऋण का हिस्सा केंद्र सरकार के कुल ऋण देनदारियों का केवल 4.5 फीसदी है। यह सकल घरेलू उत्...

इंदौरः कर्ज में डूबे युवक ने पत्नी और दो बच्चों को जहर देकर लगाई फांसी

देश, मध्य प्रदेश
इंदौर। इंदौर में कर्ज के जाल में फंसे युवक ने मंगलवार को अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या कर ली। बताया गया है कि युवक ने लॉकडाउन से पहले चार अलग-अलग कंपनियों के मोबाइल एप से तीन लाख का पर्सनल लोन लिया था। जिसे वह समय पर नहीं चुका पाया। रिकवरी वाले उससे हर हफ्ते तीन हजार रुपये पेनल्टी वसूल रहे थे। परेशान युवक ने पत्नी और दोनों बच्चों को जहर दे दिया। इसके बाद फांसी लगा ली। मौके से सुसाइड नोट भी मिला है। हालांकि, मृतक के हाथ पीछे से बंधे थे। ऐसे में पुलिस हत्या के एंगल से भी जांच कर रही हैं। मामला बाणगंगा इलाके के भागीरथपुरा का है। यहां अमित यादव अपनी पत्नी टीना, तीन साल की बेटी याना और डेढ़ साल के बेटे दिव्यांश के साथ किराए के मकान में रहते थे। वे मूलत: सागर के रहने वाले थे। अमित मोबाइल टॉवर कंपनी में इलेक्ट्रिक इंजीनियर था। अमित और टीना ने पांच साल पहले लव मैरिज की थी। डीसीपी जोन-3 धर्में...

पाकिस्तान का झोली फैलाना

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अभी भी उसे 1.2 बिलियन डाॅलर के कर्ज देने में काफी हीला-हवाली कर रहा है। उसकी दर्जनों शर्तें पूरी करते-करते पाकिस्तान कई बार चूक चुका है। इस बार भी उसको कर्ज मिल पाएगा या नहीं, यह पक्का नहीं है। शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बनते ही सऊदी अरब दौड़े थे। यों तो सभी पाकिस्तानी शपथ लेते से ही मक्का-मदीना की शरण में जाते हैं लेकिन इस बार शहबाज का मुख्य लक्ष्य था कि सऊदी सरकार से 4-5 बिलियन डाॅलर झाड़ लिये जाएं। उन्होंने झोली फैलाई लेकिन बदकिस्मती कि उन्हें वहां से भी खाली हाथ लौटना पड़ा। वे अब पाकिस्तान में ऐसे हालात का सामना कर रहे हैं, जैसे अब तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किए। लोगों को रोजमर्रा की खुराक जुटाने में मुश्किल हो रही है। आम इस्तेमाल की चीजों के भाव दोगुने-तिगुने हो गए हैं। बेरोजगारी और बेका...