एक राष्ट्र-एक चुनाव पर बहस का कोई मतलब नहीं
- राजीव खंडेलवाल
एक राष्ट्र-एक चुनाव फिलहाल 'शिगूफा' से कम नहीं। प्रश्न क्या 'एक राष्ट्र एक चुनाव नीति' को लागू करना जरूरी है, उससे पहले यह यक्ष प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या सरकार वास्तव में इस संबंध में गंभीर है? यदि वास्तव में कोई संशोधन बिल लाना ही चाहती होती तो, सरकार उक्त उद्देश्य को इस विशेष सत्र बुलाने की घोषणा में समावेश कर लेती। जैसा कि पूर्व में जब-जब विशेष सत्र बुलाए गए हैं, तो उनके उद्देश्य घोषित किए गए थे। तदनुसार संसद में उन विषयों पर कार्यवाही भी हुई। चूंकि वर्तमान में कोई उद्देश्य (एजेंडा) घोषित किए बिना बुलाए इस विशेष सत्र में सरकार इस संबंध में कोई विधेयक लाएगी, इसकी संभावना इसलिए भी नगण्य सी लगती है, जब सरकार ने इस संबंध में एक कमेटी बना ही दी है, तब उसकी रिपोर्ट/सिफारिश आने तक तो इंतजार करना ही होगा। यह रिपोर्ट 15 दिन के अंदर आ जाए, ऐसा संभव लगता नहीं है। क्योंकि इस ...