Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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स्वाधीनता संग्राम का बीज मंत्र- ‘भारत’ माता की जय, तब बहस क्यों

स्वाधीनता संग्राम का बीज मंत्र- ‘भारत’ माता की जय, तब बहस क्यों

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- हृदयनारायण दीक्षित देश के नाम को लेकर अच्छी खासी बहस चल पड़ी है। भारत अति प्राचीन नाम है। इस नामकरण के पीछे अनेक कथाएं भी चलती हैं। संविधान सभा में 18 सितंबर, 1949 के दिन बहस हुई थी। हरिविष्णु कामथ ने भारत, हिन्दुस्तान, हिन्द भरत भूमि और भारतवर्ष आदि नाम का सुझाव देते हुए दुष्यंत पुत्र भरत की कथा से भारत का उल्लेख किया। मद्रास के केएस सुब्बाराव ने भारत को प्राचीन नाम बताया और कहा कि, ' भारत नाम ऋग्वेद में भी है।' कमलापति त्रिपाठी ने भी भारत के पक्ष में वैदिक और पौराणिक तर्क दिए। स्वाधीनता संग्राम के समय 'भारत माता की जय' पूरे देश का बीज मंत्र बना था। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 'डिस्कवरी ऑफ इंडिया' में चीनी यात्री ईतिसिंग द्वारा देश को भारत कहे जाने का उल्लेख किया है। भारत दुनिया का प्राचीनतम राष्ट्र है। राजनैतिक दृष्टि से भारत एक राष्ट्र राज्य है। लेकिन सांस्कृतिक अनुभूति में यह भारत माता ह...
यूसीसी की दरकार, बहस का हो प्रतिकार

यूसीसी की दरकार, बहस का हो प्रतिकार

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- कमलेश पांडेय जिस देश के उच्च सदन यानी राज्यसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने या करवाने के सवाल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में नोकझोंक हो, वहां पर लोकतंत्र के भविष्य पर निश्चित रूप से कुछ भी कहना बेमानी होगी। यदि सभी देशवासियों के वोट की कीमत एक समान है तो फिर अन्य कानूनी समानताएं क्यों नहीं लागू की जा सकती हैं। आप सहमत हों या नहीं हों, लेकिन देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए नेशनल इंस्पेक्शन ऐंड इन्वेस्टिगेशन कमीशन बनाया जाना बदलते वक्त की मांग है और सरकार को इस पर गम्भीरता पूर्वक विचार करना चाहिए। आपने देखा-सुना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह विषय लाया गया है कि मुस्लिम लड़कियों के लिए विवाह की उम्र अलग क्यों हो? क्या इससे अन्य कानून प्रभावित नहीं होंगे? वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह आदिवासी महिलाओं को सम्पत्ति से महरूम रखने वाले हिन्द...
हिजाब मजहबी सवाल है ही नहीं

हिजाब मजहबी सवाल है ही नहीं

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक हिजाब को लेकर आजकल सुप्रीम कोर्ट में जमकर बहस चल रही है। हिजाब पर जिन दो न्यायमूर्तियों ने अपनी राय जाहिर की है, उन्होंने एक-दूसरे के विपरीत बातें कही हैं। अब इस मामले पर कोई बड़ी जज-मंडली विचार करेगी। एक जज ने हिजाब के पक्ष में फैसला सुनाया है और दूसरे ने विरोध में तर्क दिए हैं। हिजाब के मसले पर भारत के हिंदू और मुसलमान संगठनों ने लाठियां बजानी शुरू कर रखी हैं। दोनों एक-दूसरे के विरुद्ध बयानबाजी कर रहे हैं। असल में यह विवाद शुरू हुआ कर्नाटक से। इसी साल फरवरी में कर्नाटक के कुछ स्कूलों ने अपनी छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने पर प्रतिबंध लगा दिया था। सारा मामला वहां के हाई कोर्ट में गया। उसने फैसला दे दिया कि स्कूलों द्वारा बनाई गई पोशाक-संहिता का पालन सभी छात्र-छात्राओं को करना होगा। लेकिन मेरा निवेदन यह है कि हमारे नेतागण और स्कूलों के अधिकारी हिजाब के मसले ...

नौकरियों में आरक्षण खत्म हो

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सुप्रीम कोर्ट में आजकल आरक्षण पर बहस चल रही है। उसमें मुख्य मुद्दा यह है कि आर्थिक आधार पर लोगों को नौकरियों और शिक्षा-संस्थानों में आरक्षण दिया जाए या नहीं? 2019 में संसद ने संविधान में 103 वां संशोधन करके यह कानून बनाया था कि गरीबी की रेखा के नीचे जो लोग हैं, उन्हें 10 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाए। यह आरक्षण उन्हीं लोगों को मिलता है, जो अनुसूचित और पिछड़ों को मिलनेवाले आरक्षण भी शामिल नहीं हैं। यानी सामान्य श्रेणी या अनारक्षित जातियों को भी यह आरक्षण मिल सकता है। उसका मापदंड यह है कि उस गरीब परिवार की आमदनी 8 लाख रुपये सालाना से ज्यादा न हो। यानी लगभग 65 हजार रुपये प्रति माह से ज्यादा न हो। एक परिवार में यदि चार लोग कमाते हों तो उनकी आमदनी 16-17 हजार से कम ही हो। ऐसा माना जाता है कि गरीबी रेखा के नीचे जो लोग हैं, उनकी संख्या 25 प्रतिशत के आसपास यानी लगभग 30 करोड़ है। ...

संविधान सभा में आज ही शुरू हुई थी हिंदी राजभाषा के प्रश्न पर बहस

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- गौरव अवस्थी आज 13 सितंबर है। हिंदी दिवस के संदर्भ में 12,13 और 14 सितंबर का अहम स्थान है। 12 सितंबर को ही संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा बनाए जाने के तैयार किए गए मसौदे पर आए 300 से अधिक संशोधनों पर दिलचस्प बहस शुरू हुई थी। हिंदी और अहिंदी भाषी राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच गरमागरम यह बहस लोकसभा सचिवालय द्वारा 1994 में प्रकाशित की गई 'भारतीय संविधान सभा के वाद विवाद की सरकारी रिपोर्ट' का अहम दस्तावेज है। हिंदी को राज या राष्ट्रभाषा बनाए जाने से जुड़े संशोधनों पर संविधान सभा में हुई बहस में पंडित जवाहरलाल नेहरू, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सेठ गोविंद दास, एन गोपालस्वामी आयंगर, अलगू राय शास्त्री, आरबी धुलेकर, मौलाना हसरत मोहानी, वीएन गाडगिल, नजीरउद्दीन अहमद, मौलाना हिफजुररहमान, श्रीमती जी. दुर्गाबाई , डॉ. रघुवीर, मोहम्मद इस्माइल, शंकर...

हिजाबः हिंदुस्तानी औरतें अरब की नकल क्यों करें ?

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- डा. वेदप्रताप वैदिक आजकल सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है कि कर्नाटक की मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनें या न पहनें? हाई कोर्ट ने हिजाब पर पाबंदी को उचित ठहराया है। यहां बहस यह नहीं है कि हिजाब पहनना उचित है या नहीं? सिर्फ स्कूल की छात्राएं पहने या न पहनें, यह प्रश्न है। इस मुद्दे पर पहला सवाल तो यही उठना चाहिए कि हिजाब पहना ही क्यों जाए? क्या इसलिए पहना जाए कि डेढ़ हजार साल पहले अरब देशों की औरतें उसे पहनती थीं? उनकी नकल हिंदुस्तान की औरतें क्यों करें? क्या उन अरब औरतों की नकल हमारी लड़कियां करेंगी तो क्या वे बेहतर मुसलमान बन जाएंगी? हमारे भारतीय मुसलमान भी समझते हैं कि वे अरबों की तरह कपड़े पहनें, दाढ़ी रखें, टोपी पहनें तो वे बेहतर मुसलमान बन जाएंगे। मेरा निवेदन यह है कि बेहतर मुसलमान बनने के लिए अरबों की नकल करना जरूरी नहीं है। जरूरी है कुरान शरीफ की उत्तम शिक्षाओं पर अमल करना। भारत, पाकिस्त...