सहकारी बैंकों को डीबीटी से जोड़ने के मायने
- डॉ. विपिन कुमार
भारत में सहकारी आंदोलन के 100 से अधिक वर्ष पूरे हो चुके हैं। 1904 में सहकारी समिति अधिनियम के पारित होने के बाद अब इस दिशा में सबसे बड़ा प्रोत्साहन मिला है। देश में इस आंदोलन की शुरुआत किसानों, श्रमिकों और समाज के अन्य कमजोर वर्ग को अधिक समर्थ बनाने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। तब से अब तक सहकारी बैंक एक लंबी यात्रा तय कर चुके हैं। इन बैंकों ने देश के वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। विशेष रूप से ग्रामीण, निम्न और मध्य परिवार के बैंकिंग और ऋण संबंधित जरूरतों को पूरा करने में।
सहकारी बैंकिंग व्यवस्था को ग्रामीण और शहरी जैसे दो भागों में विभाजित किया गया है। मौजूदा समय में देश में 90,000 से भी अधिक प्राथमिक ऋण समितियां, 367 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, 33 राज्य सहकारी बैंक और 1579 शहरी सहकारी बैंक हैं। हालांकि, सहकारी बैंकों की इतनी विशाल संख्या और ...