Monday, November 25"खबर जो असर करे"

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डिजिटल वॉर से सकते में दुनिया

डिजिटल वॉर से सकते में दुनिया

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-ऋतुपर्ण दवे संचार क्रांति के दौर में चौतरफा और रोजाना नित नई तकनीकों से दुनिया रू-ब-रू हो रही है। मोबाइल, जीपीएस, इण्टरनेट, बिना ड्राइवर की गाड़ियों से लेकर अब कृत्रिम मेधा यानी एआई (आर्टीफीसियल इण्टेलीजेन्स) के युग में 1950 के जमाने में न्यूयॉर्क से निकले पेजर, 74 वर्षों के बाद पहली बार और एक साथ सीरियल ब्लास्ट में तब्दील हो जाएंगे, भला किसने सोचा था? रेडियो फ्रिक्वेंसी पर चलने वाले पेजर का क्रेज अब न के बराबर है। लेकिन किसी पकड़ या सुराग के लिहाज से बेहद सुरक्षित पेजर का उपयोग आतंकी गतिविधियों में जरूर थोक में होने लगा। इसमें न जीपीएस होता है और न ही कोई आईपी एड्रेस, इसलिए लोकेशन ट्रेस का सवाल ही नहीं। इसका नंबर भी बदला जा सकता है। इसीलिए इसका पता लगाना आसान नहीं होता। बस इसी चलते एक बड़ी साजिश को अंजाम देकर बड़े षड्यंत्र के तहत 9/11 जैसी बल्कि उससे भी बहुत बड़े दायरे में लेबनान में हर...
भारत को चीन के साथ-साथ अमेरिका से भी खतरा

भारत को चीन के साथ-साथ अमेरिका से भी खतरा

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- डॉ. अनिल कुमार निगम आज भारत को चीन से ज्‍यादा अमेरिका से खतरा है। अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस यात्रा पर जिस तरह से प्रतिक्रिया दी और भारत ने उसका प्रतिकार किया, वह विचारणीय है। ‍संप्रति, अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद का चुनाव चल रहा है। पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्‍प रिपब्लिकन पार्टी से प्रत्‍याशी हैं तो डेमोक्रैटिक पार्टी से उम्‍मीदवार अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के नाम वापस लेने के बाद वहां की उप राष्‍ट्रपति एवं भारतवंशी कमला हैरिस राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ रही हैं। महत्‍वपूर्ण यह नहीं है कि चुनाव में कौन चुनाव लड़ रहा है और कौन राष्‍ट्रपति बनेगा? महत्‍वपूर्ण यह है कि डोनाल्‍ड ट्रम्‍प और कमला हैरिस में कौन-सा ऐसा नेता है जो भारत के साथ बेहतर तालमेल रख सकेगा? एक ओर जहां अमेरिका भारत के बल पर एशिया में चीन की शक्ति को संतुलित करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर वह भा...
बढ़ती आबादी-बढ़ता खतरा

बढ़ती आबादी-बढ़ता खतरा

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- योगेश कुमार गोयल जनसंख्या संबंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करने के लिए प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। भारत के संदर्भ में देखें तो तेजी से बढ़ती आबादी के कारण ही हम सभी तक शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों को पहुंचाने में पिछड़ रहे हैं। बढ़ती आबादी की वजह से ही देश में बेरोजगारी की समस्या विकराल हो चुकी है। हालांकि विगत दशकों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से नए रोजगार जुटाने के कार्यक्रम चलाए गए लेकिन बढ़ती आबादी के कारण ये सभी कार्यक्रम ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुए। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही देश में आबादी और संसाधनों के बीच असंतुलन बढ़ता जा रहा है। हकीकत यही है कि विगत दशकों में देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ी, उस गति से कोई भी सरकार जनता के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने की व्यवस्था करने में सफल नहीं हो सकती थी। आज देश की बहुत बड़ी आबादी निम्नस्तर क...
बढ़ती आबादी के खतरे भी कम नहीं

बढ़ती आबादी के खतरे भी कम नहीं

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- योगेश कुमार गोयल यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) के मुताबिक दुनिया की आबादी आठ अरब हो गई है, जिसे सात से आठ अरब होने में केवल 12 वर्ष का समय लगा है। जबकि दुनिया की आबादी को 1 से 2 अरब होने में 100 साल से भी ज्यादा लगे थे। हालांकि दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ने को संयुक्त राष्ट्र मानवता की उपलब्धियों के प्रमाण के रूप में देख रहा है और यह सही भी है कि इसमें सबसे बड़ा योगदान शिक्षा तक पहुंच का विस्तार, स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति, लैंगिक असमानता में कमी इत्यादि कारकों का है लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों के लिए बढ़ती आबादी के खतरे भी कम नहीं हैं। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आबादी एक अरब बढ़ने में भारत की हिस्सेदारी 17.7 करोड़ और चीन की 7.3 करोड़ रही यानी आबादी के बढ़ते ग्राफ के मामले में भारत चीन से बहुत निकल गया है तथा अगले साल तक भारत की आबादी चीन से भी ज्यादा हो जाएगी यानी भार...
आईएमएफ चीफ की चेतावनी, दुनिया पर मंडरा रहा मंदी का खतरा, तुरंत उठाने होंगे कदम

आईएमएफ चीफ की चेतावनी, दुनिया पर मंडरा रहा मंदी का खतरा, तुरंत उठाने होंगे कदम

बिज़नेस, विदेश
नई दिल्‍ली । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने दुनिया पर बढ़ते मंदी (recession) के जोखिम को लेकर चेतावनी दी है. आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने गुरुवार को वैश्विक नीति निर्माताओं (global policymakers) से खतरनाक 'न्यू नॉर्मल' से बचने के लिए नीतिगत कार्रवाई करने की अपील की है. अगले हफ्ते होने वाली वार्षिक बैठक से पहले उन्होंने इस संकट के निपटने के लिए मिलकर काम करने की बात दोहराई. जल्द उठाने होंगे ठोस कदम IMF चीफ ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) को बीते कुछ समय में एक के बाद एक कई बड़े झटके झेलने पड़े हैं. इससे दुनियाभर में मंदी का जोखिम काफी बढ़ गया है. ऐसे में खतरनाक 'New Normal' से बचने के लिए ठोस उपाय उठाने होंगे, क्योंकि ग्लोबल इकोनॉमी को स्थिर करना बहुत जरूरी है. इस दौरान Kristalina Georgieva ने बढ़ती महंगाई (Inflation) का भी जिक्र किया. उ...