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सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देती हैं पाठ्यपुस्तकें

सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देती हैं पाठ्यपुस्तकें

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- प्रियंका सौरभ राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ( एनसीईआरटी ) देशभर में शिक्षा को मानकीकृत करने वाली पाठ्यपुस्तकों को विकसित और वितरित करके देश की शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रीय एकीकरण, वैज्ञानिक सोच और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देते हुए एक व्यापक और संतुलित शिक्षा प्रदान करना है। भारत में छात्रों के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देने में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों अमूल्य योगदान है. एक अच्छी शिक्षा व्यापक व्याख्या, तथ्यों का व्यापक प्रदर्शन, बौद्धिक विकास और उन तथ्यों, उन व्याख्याओं के आलोचनात्मक विश्लेषण का साधन प्रदान करती है। कई विषयों में सामाजिक और सांस्कृतिक कारक शामिल होते हैं और एक वैध पाठ्यक्रम में उन्हें यथासंभव ईमानदारी और निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत किया जाता है (हालांकि ऐसे विषयो...
श्रीराम मंदिर सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृतकाल

श्रीराम मंदिर सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृतकाल

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- श्याम जाजू अयोध्या में श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण और प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा मात्र एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और अभ्युदय का अमृतकाल है। सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि से भरे हमारे देश में सांस्कृतिक धरोहर हमारी पहचान है। धर्म, भाषा, रूपरेखा, शैली और विविध संस्कृतियों और जीवन शैलियों के बाद भी भारत एक है। उसकी आत्मा एक है। हम सब एक-दूसरे से अपनी सांस्कृतिक पहचान से जुड़े हुए हैं। इसी जुड़ाव को बढ़ाने की दिशा में प्रभु श्रीराम के मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर हमें अपनी साझी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को अक्षुण्ण रखने में मदद देगा। श्रीराम भारतीय संस्कृति के प्रेरणा पुरुष हैं। एक आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र हैं। हम भारतीय जिन सात्विक मानवीय गुणों को सदियों से पू...
भारत के मन का मूल उत्स सांस्कृतिक है

भारत के मन का मूल उत्स सांस्कृतिक है

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- हृदयनारायण दीक्षित भारत उत्सव प्रिय उल्लासधर्मा देश है। सतत कर्म यहां जीवन साधना है। पूरे वर्ष कर्म प्रधान जीवन और बीच-बीच में पर्व त्योहार और उत्सवों का आनंद। भारत के मन का मूल उत्स सांस्कृतिक है। उत्स का अर्थ है केन्द्र। उत्सव परिधि है। उत्सव उल्लासधर्मा होते हैं। वे भारत के लोक को भीतर और बाहर तक आच्छादित करते हैं। मकर संक्रान्ति का उत्सव ऐसा ही है। यह भारत के सभी हिस्सों में मनाया जा रहा है। नदियों में कड़ाके की ठंढ के बावजूद स्नान ध्यान, पूजन और आनन्द। हम भारत के लोग उत्सवों में समवेत होते हैं, आनन्दित होते हैं। संप्रति मकर संक्रान्ति के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी आनंद की लहर है। भारतीय चिंतन में सूर्य ब्रह्माण्ड की आत्मा हैं। सूर्य सभी राशियों पर संचरण करते प्रतीत होते हैं। वस्तुतः पृथ्वी ही सूर्य की परिक्रमा करती है। आर्य भट्ट ने आर्यभट्टीयम में लिखा है, ''जिस तरह नाव म...
सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता का पर्व दशहरा

सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता का पर्व दशहरा

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- योगेश कुमार गोयल आश्विन शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष ‘विजयादशमी’ का पर्व मनाया जाता है, जिसे दशहरा भी कहा जाता है। दशहरा इस वर्ष उदया तिथि के अनुसार 24 अक्तूबर को मनाया जा रहा है। समस्त भारत में दशहरा भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध के रूप में अर्थात् बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में तथा आदि शक्ति दुर्गा द्वारा महाबलशाली राक्षसों महिषासुर व चण्ड-मुण्ड का वध किए जाने के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय पाने के लिए इसी दिन प्रस्थान किया था। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि हिन्दू राजा अक्सर इसी दिन विजय के लिए प्रस्थान किया करते थे। इसी कारण इस पर्व को विजय के लिए प्रस्थान का दिन भी कहा जाता है और इसे क्षत्रियों का त्योहार भी माना गया है। इस दिन अपराजिता देवी की पूजा भी होती है। मान्यता है कि सर्वप्रथम श्रीराम ने समुद्र तट पर शारदीय नवरात्रि...

भारत का सांस्कृतिक और सामरिक संदेश

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्र जीवन में सांस्कृतिक और सामरिक दोनों विषयों का महत्व होता है। संस्कृति की दृष्टि से भारत सदैव समृद्ध रहा है। नरेन्द्र मोदी सरकार ने राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना जागृत की है। यही नहीं, सरकार सामरिक मजबूती पर भी विशेष ध्यान दे रही है।रक्षा तैयारी के लिहाज से वर्तमान सरकार का कार्यक्रम अभूतपूर्व रहा है।अनुमान है कि अगले दो वर्षों में यहह सरकार अपने ही कीर्तिमान को पीछे छोड़ देगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान ने भारत को शक्तिशाली बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इसके बाद भी विश्व शांति के प्रति भारत का दृष्टिकोण में परिवर्तन नहीं हुआ है। शांति भारत की विरासत और प्रकृति है। दुनिया में केवल भारतीय चिंतन ने विश्व शांति और मानव कल्याण को महत्व दिया है। किन्तु इस चिंतन के अनुरूप कार्य करने के लिए भारत का शक्तिशाली होना अपरिहार्य है। हिंसक प्रवृत्ति के देश शांति की भाषा ...

जर्मनी और भारत के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं व्यापारिक हैं : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- जर्मन प्रतिनिधिमंडल ने की मुख्यमंत्री चौहान से मुलाकात भोपाल। जर्मनी के प्रो. डॉ. मारियो वायगिट (Dr. Mario Voigt) के नेतृत्व में जर्मन-प्रतिनिधिमंडल (german delegation) ने भोपाल प्रवास के दौरान मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जर्मनी और भारत के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं व्यापारिक हैं। स्वास्थ्य, पर्यटन एवं उद्योग के क्षेत्र में जर्मनी के प्रतिनिधिमंडल द्वारा रखे गए प्रस्तावों का मध्यप्रदेश में स्वागत है। मुख्यमंत्री निवास पहुंचे जर्मनी के प्रतिनिधिमंडल में प्रो. डॉ. मारियो वायगिट के अलावा एंडरास बीहल, मार्टिन हेंकल, क्रिस्टियन हर्रगोट, क्रिस्टियन कलिन, क्रिस्टियन टिचनेर और जॉन्स उर्बेच शामिल थे। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान, प्रमुख...