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आखिर क्यों धामी को आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता?

आखिर क्यों धामी को आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता?

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- अर्चना राजहंस डबल इंजन सरकार के नाम पर जहां अन्य प्रदेश सरकारें हांफने लगती हैं वहीं धामी खुलकर बोलते हैं कि हां, उत्तराखंड में मोदी-धामी की डबल इंजन सरकार काम करती है। कहते हैं कैलाश में शिव अपने अराध्य नारायण और लक्ष्मी के साथ में विराजमान हैं जिन्हें बद्री विशाल के नाम से जाना जाता है। बद्री विशाल यानी पांडव अर्जुन, यानी ईश्वर का वो मूर्तिमान रूप जो चारों युगों में यहां विराजमान है। इसने सृष्टि को कई बार बनते बिगड़ते देखा है। 2013 में केदारनाथ में हुए हादसे के बाद ऐसा लगा था मानों अब केदार को फिर से बसा पाना संभव नहीं हो पाएगा, लेकिन हरि और शिव जहां स्वयं विराजमान हों वहां कैसा रुदन? केदार को संवारने जैसे दोनों स्वयं आ गए हों, मोदी और धामी के रूप में। कहते हैं उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार है। सच कहें तो यहां प्राकृतिक रूप से डबल इंजन सरकार है। इस पूरे प्रदेश को बद्री और केदार...
बजट काफी अच्छा है लेकिन…

बजट काफी अच्छा है लेकिन…

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक कोई सरकार कैसा भी बजट पेश करे, विरोधी दल उसकी आलोचना न करें, यह संभव ही नहीं है। विरोधी दलों की आलोचनाएं हमेशा असंगत होती हैं, ऐसा भी नहीं है। वे कई बार सरकार और संसद को नई दिशा भी दे देती हैं। इस बार भी कुछ विरोधी दलों ने इस बजट को किसान और मजदूर-विरोधी बताया है और सरकार से पूछा है कि उसने अपना खर्च इतना ज्यादा बढ़ा लिया है तो वह पैसा कहां से लाएगी? लेकिन सरकार के इस बजट की ज्यादातर वित्तीय विशेषज्ञ तारीफ कर रहे हैं। वे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा अब तक पेश किए गए बजटों में इसे सर्वश्रेष्ठ बता रहे हैं। किसी भी सरकार से यह उम्मीद करना कि वह अपने बजट का इस्तेमाल करते समय अपने वोट बैंक पर ध्यान नहीं देगी, गलत है। चुनावों से चुनी जानेवाली कोई भी सरकार अपने हर कदम को सबसे पहले वोट बैंक की तराजू पर तोलती है। इस दृष्टि से यह बजट काफी सफल रहा है। क्योंकि यह देश के लग...

राग-द्वेष से परे रहे हैं स्वरूपानंद सरस्वती

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। बावजूद इसके स्वरूपानंद तमाम मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी की कड़ी आलोचना करते रहे हैं। यह प्रधानमंत्री की उदारता है। लेकिन स्वरूपानंद सरस्वती के व्यक्तित्व की यह खूबी भी रही है कि वे जिसकी भी आलोचना या सराहना करते थे, उसके पीछे उनका अपना कोई राग-द्वेष नहीं था। उनकी अपनी राष्ट्रवादी दृष्टि थी। उन्हें जो ठीक लगता था, उसे बेधड़क होकर बोल देते थे। मेरा और उनका आत्मीय संपर्क 50 साल से भी ज्यादा पुराना था। उनके गुरु करपात्री महाराज और स्वामी कृष्णबोधाश्रम मेरी पत्नी वेदवती वैदिक का उपनिषद् पर पीएचडी के अनुसंधान में मार्गदर्शन किया करते थे। मेरे ससुर रामेश्वरदास द्वारा निर्मित साउथ एक्सटेंशन के धर्मभवन में मेरी पत्नी और स्वरूपानंदजी साथ-साथ इन महान विद्वानों से शिक्षा ग्र...