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देश की समृद्धि तथा प्रगति का सूचक है नवसंवत

देश की समृद्धि तथा प्रगति का सूचक है नवसंवत

अवर्गीकृत
- डॉ. आशीष वशिष्ठ भारतीय नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। चैत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि, शुक्ल पक्षे समग्रेतु तु सदा सूर्योदये सति। ब्रह्म पुराण में वर्णित इस श्लोक के अनुसार चैत्र मास के प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इस तिथि को रेवती नक्षत्र में, विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान् के आदि अवतार मत्स्यरूप का प्रादुर्भाव भी माना जाता है। इसलिए यही वो दिन है जब से भारत वर्ष की कालगणना की जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (पड़वा) को मनाया जाना वाला नव संवत्सर पर्व यूं तो हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नववर्ष कहलाता है, लेकिन ये दिवस विशेष भारतीय संस्कृति का परिचायक भी है। यही वजह है कि ये दिवस महज एक नया साल का प्रारंभिक...