प्राकृतिक संसाधनों का संवर्धन
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
भारतीय संस्कृति में प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार का उपभोगवादी विचार नहीं है। इसके विपरीत प्रकृति के प्रति सम्मान को महत्व दिया गया। इसके अंतर्गत उसके संरक्षण और संवर्धन का भाव समाहित है। ऐसा होने पर प्रकृति स्वयं मानव के लिए कल्याणकारी होगी। तब उस पर अधिकार जमाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। तब किसी को यह बताने की जरूरत नहीं रहेगी कि प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार किसका है। यह अधिकार का नहीं कर्तव्य का विषय है। प्रतिस्पर्धा अधिकार के लिए नहीं, कर्तव्य के लिए होनी चाहिए। तब किसी के लिए प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं रहेगी। भारतीय चिंतन के इस विचार को योगी आदित्यनाथ ने समझा। इसीलिए उन्होंने पांच वर्षों के दौरान प्राकृतिक संरक्षण और संवर्धन संबन्धी अभूतपूर्व कार्य किए हैं। पिछले कार्यकाल के दौरान प्रदेश में सौ करोड़ पौधों का रोपण कर कीर्तिमान बनाया गया। दूसरे कार...