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हिंदी के नाम पर आत्महत्या क्यों?

हिंदी के नाम पर आत्महत्या क्यों?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत के संविधान दिवस पर तमिलनाडु के एक व्यक्ति ने यह कहकर आत्महत्या कर ली कि केंद्र सरकार तमिल लोगों पर हिंदी थोप रही है। आत्महत्या की यह खबर पढ़कर मुझे बहुत दुख हुआ। पहली बात तो यह कि किसी ने हिंदी को दूसरों पर लादने की बात तक नहीं कही है। तमिलनाडु की पाठशालाओं में कहीं भी हिंदी अनिवार्य नहीं है। हां, गांधीजी की पहल पर जो दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा बनी थी, वह आज भी लोगों को हिंदी सिखाती है। हजारों तमिलभाषी अपनी मर्जी से उसकी परीक्षाओं में भाग लेते हैं। आत्महत्या करनेवाले सज्जन चाहते तो वे इसका भी विरोध कर सकते थे लेकिन विरोध का यह भी क्या तरीका है कि कोई आदमी अपनी या किसी की हत्या कर दे। जो अहिंदी भाषी हिंदी नहीं सीखना चाहें, उन्हें पूरी स्वतंत्रता है लेकिन वे कृपया सोचें कि ऐसा करके वे अपना कौन सा फायदा कर रहे हैं? क्या वे अपने आप को बहुत संकुचित नहीं कर रहे हैं?...
संविधान दिवस: हर नागरिक को समान अधिकार देता है हमारा संविधान

संविधान दिवस: हर नागरिक को समान अधिकार देता है हमारा संविधान

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- योगेश कुमार गोयल वैसे तो विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था लेकिन इसे 26 नवम्बर 1949 को ही स्वीकृत कर लिया गया था। इसी दिन भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था, इसीलिए 26 नवम्बर का दिन ही ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संविधान निर्माता के रूप में डा. भीमराव अम्बेडकर को याद किया जाता है, जिन्होंने दुनिया के सभी संविधानों को परखने के बाद भारतीय संविधान के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा संविधान तैयार किया। भारत का संविधान ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देता है और साथ ही हमारे कर्त्तव्यों को भी निर्धारित करता है। संविधान सभा को इसे तैयार करने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का लंबा समय लगा था। नरेन्द्र मोदी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद वर्ष 2015 में पहली बार निर्णय लिया गया कि संविधान सभा की नि...