भारतीय जनतंत्र पूर्वजों के सचेत कर्मों का प्रसाद
- हृदयनारायण दीक्षित
एक साथ चुनाव पर विचार करने वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाई गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी है। इस रिपोर्ट का विरोध भी प्रारम्भ भी हो गया है। एक साथ चुनाव का विषय देश के हित में है। लेकिन इस रिपोर्ट की सिफारिशों का विरोध भी हो रहा है। बताया जाता है कि यह रिपोर्ट 18000 पृष्ठ की है। इसे ठीक से पढ़े जाने और तथ्यों के विवेचन का काम बड़ा है। विरोध करने वाले भी संभवतः इस रिपोर्ट को पूरी तौर पर पढ़े बिना ही अपने निष्कर्ष निकाल रहे हैं। भारतीय जनतंत्र पूर्वजों के सचेत कर्मों का प्रसाद है। सभा समितियां ऋग्वैदिक काल में ही थीं। संविधान निर्माताओं ने ब्रिटिश तर्ज का संसदीय जनतंत्र अपनाया। अनेक संवैधानिक संस्थाएं गढ़ी। केन्द्रीय स्तर पर संसद बनी। केन्द्र को संसद...