Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Congress

कांग्रेसः बुजुर्ग अध्यक्ष से बड़ी-बड़ी आस

कांग्रेसः बुजुर्ग अध्यक्ष से बड़ी-बड़ी आस

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- ऋतुपर्ण दवे कांग्रेस ने आखिर 21 वीं सदी का पहला नया लोकतांत्रिक अध्यक्ष चुन ही लिया जो गांधी परिवार के बाहर का है। यह जबरदस्त प्रचार और बेहद शांति के साथ आंतरिक लोकतंत्र की दुहाई के नाम पर हुआ। वह भी तब जब गांधी परिवार का वारिस (जैसा दिखता है) भारत जोड़ो यात्रा पर है। बेशक पार्टी बेहद मुश्किल दौर में है, जनाधार तेजी से गिरा है, भविष्य क्या होगा इसको लेकर अनिश्चितता है। पार्टी में तेजी से फूट, गुटबाजी और बिखराव के बीच एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कितनी कामयाब होगी यह वक्त बताएगा। अब कांग्रेस का चुनौतियों से भरा ताज 80 बरस के मल्लिकार्जुन खड़गे के माथे पर है जिनका अनुभव भरा 55 साल का राजनीतिक सफर है। वो गांधी परिवार के बेहद विश्वासी हैं। लेकिन यह भी जगजाहिर है कि गांधी परिवार के बाहर के तमाम अध्यक्ष अपने अच्छे रिश्तों के चलते पार्टी अध्यक्ष तक पहुंचे जरूर लेकिन धीरे-धीरे कड़वाहट बढ़ती गई औ...
कांग्रेसः राहुल ही अंतिम आशा

कांग्रेसः राहुल ही अंतिम आशा

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस को 24 साल बाद सोनिया परिवार के बाहर का एक अध्यक्ष मिला है। क्यों मिला है? क्योंकि सोनिया-गांधी परिवार थक चुका था। उसने ही तय किया कि अब कांग्रेस का मुकुट किसी और के सिर पर धर दिया जाए। माँ और बेटे दोनों ने अध्यक्ष बनकर देख लिया। कांग्रेस की ताकत लगातार घटती गई। उसके महत्वपूर्ण नेता उसे छोड़-छोड़कर अन्य पार्टियों में शामिल होते जा रहे हैं। ऐसे में कुछ नई पहल की जरूरत महसूस की गई। दो विकल्प सूझे। एक तो भारत जोड़ो यात्रा और दूसरा ढूंढें कोई ऐसा कंधा, जिस पर कांग्रेस की बुझी हुई बंदूक रखी जा सके। भारत कहाँ से टूट रहा है, जिसे आप जोड़ने चले हैं? वह वास्तव में टूटती-बिखरती कांग्रेस को जोड़ो यात्रा है। इसमें शक नहीं कि इस यात्रा से राहुल को प्रचार काफी मिल रहा है लेकिन कांग्रेस से टूटे हुए लोगों में से कितने अभी तक जुड़े हैं? कोई भी नहीं। खैर, यात्रा अच्छी है। उससे कांग...
कांग्रेस पर कायम गांधी परिवार!

कांग्रेस पर कायम गांधी परिवार!

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- डॉ. प्रभात ओझा कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे का चुना जाना पहले से ही तय माना जा रहा था। ऐसा हुआ भी। अशोक गहलोत की उम्मीदवारी की घोषणा और फिर उनके मैदान से हट जाने के बाद नामांकन के सिर्फ एक दिन पहले खड़गे के पर्चा दाखिले के वक्त से ही यह आमतौर पर स्पष्ट हो चला था। निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान एकाधिक बार शशि थरूर ने इस ओर संकेत कर यह बताने की कोशिश की थी कि खड़गे आधिकारिक उम्मीदवार माने जा रहे हैं। ऐसा कांग्रेस के कुछ निवर्तमान पदाधिकारियों के खड़गे के साथ दिखाई देने के आधार पर कहा गया। इससे अलग और साफ संकेत राहुल गांधी के बयान से भी मिला, जिस पर मीडिया अथवा कांग्रेस पार्टी के अंदर चुनाव प्रणाली पर नजर रखने वालों का कम ध्यान गया। राहुल गांधी भारत जोड़ो पदयात्रा पर हैं। अपने भविष्य की भूमिका के बारे में पत्रकारों के पूछे जाने पर उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह मल्लिकार्जुन खड़गे...
Himachal Elections: कांग्रेस ने जारी की 46 उम्मीदवारों की पहली सूची, छह नए चेहरों को टिकट

Himachal Elections: कांग्रेस ने जारी की 46 उम्मीदवारों की पहली सूची, छह नए चेहरों को टिकट

देश, राजनीति
- बंजार सीट से पूर्व भाजपा अध्यक्ष खिमी राम को मिला टिकट जगत सिंह नेगी को छोड़कर सभी सिटिंग विधायकों को टिकट शिमला। हिमाचल विधानसभा चुनाव (Himachal assembly elections) के लिए कांग्रेस (Congress) ने लंबी जद्दोजहद के बाद उम्मीदवारों की पहली सूची (first list of candidates) जारी कर दी है। राज्य में 12 नवम्बर को मतदान होना है और नतीजे आठ दिसम्बर को घोषित होंगे। मंगलवार देर शाम कांग्रेस पार्टी 46 उम्मीदवारों की सूची (list of 46 candidates) जारी कर पाई है। कांग्रेस को अब 22 सीटों पर उम्मीदवार घोषित करने शेष हैं। कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक की ओर से जारी इस पहली सूची में किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी को छोड़कर पार्टी के अन्य सभी 19 सिटिंग विधायकों को उम्मीदवार बनाया गया है। खास बात यह है पहली सूची में छह नए चेहरों को उतारा गया है। चुराह, नगरोटा बंगवां, पच्छाद, चौपाल, ठियोग और बंजार हलकों से न...
कांग्रेसः फिर चक्का जाम

कांग्रेसः फिर चक्का जाम

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक मल्लिकार्जुन खड़गे अब कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे, यह तो तय ही है। यदि अशोक गहलोत बन जाते तो कुछ कहा नहीं जा सकता था कि कांग्रेस का क्या होता? गहलोत को राजस्थान के कांग्रेस विधायकों के प्रचंड समर्थन ने महानायक का रूप दे दिया था लेकिन गहलोत भी गजब के चतुर नेता हैं, जिन्होंने दिल्ली आकर सोनिया गांधी का गुस्सा ठंडा कर दिया। उन्हें अध्यक्ष की खाई में कूदने से तो मुक्ति मिली ही, उनका मुख्यमंत्री पद अभी तक तो बरकरार ही लग रहा है। अध्यक्ष बनने के बाद खड़गे की भी हिम्मत नहीं पड़ेगी कि वे गहलोत पर हाथ डालें। गहलोत और कांग्रेस के कई असंतुष्ट नेता भी उम्मीदवारी का फार्म भरनेवाले खड़गे के साथ-साथ पहुंच गए। यानी समस्त संतुष्ट और असंतुष्ट नेताओं ने अपनी स्वामिभक्ति प्रदर्शित करने में कोई संकोच नहीं किया। यह ठीक है कि शशि थरूर और त्रिपाठी ने भी अध्यक्ष के चुनाव का फार्म भरा है लेकिन सब...

भारत जोड़ो यात्रा के बीच बिखराव की ओर कांग्रेस

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- सुरेश हिन्दुस्थानी राजस्थान में मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर छिड़ी आपसी लड़ाई के बीच राज्य में कांग्रेस के भविष्य के सामने एक बड़ा प्रश्नचिह्न उपस्थित हो गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने नेतृत्व पर राजनीतिक दबाव बनाने का जो खेल खेला है, उसका राजनीतिक दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाए तो यही प्रमाणित करता है कि यह अनुशासनहीनता की पराकाष्ठा है। इससे यह भी संदेश जा रहा है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाने को लेकर जिस प्रकार से गहलोत समर्थक विधायकों ने अपने त्यागपत्र दिए हैं, उससे प्रथम दृष्टया यही लगता है कि ये विधायक कांग्रेस के कम गहलोत के ज्यादा हैं। विधायकों का यह नाटक निश्चित ही गहलोत के संकेत पर ही चल रहा होगा। इसके अलावा केन्द्र की ओर से भेजे गए दो पर्यवेक्षक भी राजस्थान में उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट को दूर करने में असमर्थ ही रहे। हालांकि पार्टी अनुशासन को ध्य...

अपने जाल में फंसे अशोक गहलोत !

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- रमेश सर्राफ धमोरा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर माना जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपनी राजनीतिक कुशलता के बल पर अंतिम समय में बिगड़ी बाजी को पलट सकते हैं। अपने राजनीतिक सूझबूझ व कौशल के बल पर ही अशोक गहलोत ने राजनीति के मैदान में लंबी पारी खेली है। उसी की बदौलत वो शीघ्र ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले हैं। मुख्यमंत्री, केंद्र में मंत्री, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तो बहुत से नेता बनते रहे हैं। मगर कांग्रेस जैसी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना अपने आप में बहुत बड़े गौरव की बात है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा अशोक गहलोत का नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुना जाना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए भी फक्र की बात है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर अशोक गहलोत, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे द...

भारत जोड़ो यात्रा: स्वयं को तसल्ली देने का प्रयास

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- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी जिस दो राहे पर खड़ी है, वह भूलभुलैया जैसी स्थिति को प्रदर्शित कर रहा है। क्योंकि कांग्रेस में जो सुधार की आवाजें मुखरित हो रही हैं, उसे कांग्रेस नेतृत्व सिरे से नकारने का काम कर रहा है। इसे कांग्रेस का बहुत कमजोर पक्ष कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि कांग्रेस के सुधार की आवाज उठाने वाले नेता छोटे स्तर के नेता नहीं, बल्कि कांग्रेस को स्थापित करने में पसीना बहाने वाले रहे हैं। इनकी आवाज को अनसुना करके ऐसा ही लग रहा है कि कांग्रेस में नेतृत्व से अलग राय रखने वाले नेताओं की कोई जगह ही नहीं है। अब कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है, जिसकी कमान राहुल गांधी संभाल रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के लिए बेचैन करने वाली स्थिति यह है कि जिसके नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं, कांग्रेस ने फिर से उन्हीं राहुल गांधी को आगे करके परिवर्तन की आस देख रहे...

भारत-जोड़ो यात्रा की नौटंकी में आत्म प्रचार

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अभी तो केरल में ही चल रही है। राहुल गांधी इसका नेतृत्व कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान भीड़-भाड़ भी ठीक-ठाक ही है। सवाल यह भी है कि देश के जिन अन्य प्रांतों से यह गुजरेगी, क्या वहां भी इसमें वैसा ही उत्साह दिखाई पड़ेगा, जैसा कि केरल में दिखाई पड़ रहा है? केरल में कांग्रेस ही प्रमुख विरोधी दल है और खुद राहुल वहीं से लोकसभा सदस्य हैं। केरल में कांग्रेस की सरकार कई बार बन चुकी है। उसकी टक्कर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से हुआ करती है लेकिन इस यात्रा के दौरान सारा जोर भाजपा के विरुद्ध है जबकि केरल में भाजपा की उपस्थिति नगण्य है। दक्षिण के जिन अन्य राज्यों में भी यह यात्रा जाएगी, क्या कांग्रेस का निशाना भाजपा पर ही रहेगा? यदि भाजपा को सत्तामुक्त करना ही इस यात्रा का लक्ष्य गुजरात में होना चाहिए। मगर गांधी और सरदार पटेल के गुजरात में भी कांग्रेस ...