Friday, April 18"खबर जो असर करे"

Tag: Congress

अपने जाल में फंसे अशोक गहलोत !

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- रमेश सर्राफ धमोरा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर माना जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वह अपनी राजनीतिक कुशलता के बल पर अंतिम समय में बिगड़ी बाजी को पलट सकते हैं। अपने राजनीतिक सूझबूझ व कौशल के बल पर ही अशोक गहलोत ने राजनीति के मैदान में लंबी पारी खेली है। उसी की बदौलत वो शीघ्र ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले हैं। मुख्यमंत्री, केंद्र में मंत्री, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तो बहुत से नेता बनते रहे हैं। मगर कांग्रेस जैसी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना अपने आप में बहुत बड़े गौरव की बात है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा अशोक गहलोत का नाम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुना जाना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए भी फक्र की बात है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर अशोक गहलोत, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे द...

भारत जोड़ो यात्रा: स्वयं को तसल्ली देने का प्रयास

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- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी जिस दो राहे पर खड़ी है, वह भूलभुलैया जैसी स्थिति को प्रदर्शित कर रहा है। क्योंकि कांग्रेस में जो सुधार की आवाजें मुखरित हो रही हैं, उसे कांग्रेस नेतृत्व सिरे से नकारने का काम कर रहा है। इसे कांग्रेस का बहुत कमजोर पक्ष कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि कांग्रेस के सुधार की आवाज उठाने वाले नेता छोटे स्तर के नेता नहीं, बल्कि कांग्रेस को स्थापित करने में पसीना बहाने वाले रहे हैं। इनकी आवाज को अनसुना करके ऐसा ही लग रहा है कि कांग्रेस में नेतृत्व से अलग राय रखने वाले नेताओं की कोई जगह ही नहीं है। अब कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है, जिसकी कमान राहुल गांधी संभाल रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के लिए बेचैन करने वाली स्थिति यह है कि जिसके नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं, कांग्रेस ने फिर से उन्हीं राहुल गांधी को आगे करके परिवर्तन की आस देख रहे...

भारत-जोड़ो यात्रा की नौटंकी में आत्म प्रचार

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अभी तो केरल में ही चल रही है। राहुल गांधी इसका नेतृत्व कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान भीड़-भाड़ भी ठीक-ठाक ही है। सवाल यह भी है कि देश के जिन अन्य प्रांतों से यह गुजरेगी, क्या वहां भी इसमें वैसा ही उत्साह दिखाई पड़ेगा, जैसा कि केरल में दिखाई पड़ रहा है? केरल में कांग्रेस ही प्रमुख विरोधी दल है और खुद राहुल वहीं से लोकसभा सदस्य हैं। केरल में कांग्रेस की सरकार कई बार बन चुकी है। उसकी टक्कर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से हुआ करती है लेकिन इस यात्रा के दौरान सारा जोर भाजपा के विरुद्ध है जबकि केरल में भाजपा की उपस्थिति नगण्य है। दक्षिण के जिन अन्य राज्यों में भी यह यात्रा जाएगी, क्या कांग्रेस का निशाना भाजपा पर ही रहेगा? यदि भाजपा को सत्तामुक्त करना ही इस यात्रा का लक्ष्य गुजरात में होना चाहिए। मगर गांधी और सरदार पटेल के गुजरात में भी कांग्रेस ...

कहीं कांग्रेस का इंजन भी हांफने न लगे

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- धर्मेन्द्र कुमार सिंह भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने का ख्वाब देखते हुए आलू से सोना बनाने और महंगाई पर 40 रुपये लीटर आटा की टिप्पणी करने वाले कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी देश-विदेश मे हंसी एवं मजाक के पात्र बने हुए हैं। साथ ही न्यायपालिका एवं मीडिया पर अमर्यादित टिप्पणी कर अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता और बौद्धिक दिवालियापन प्रमाण दे चुके हैं। अपनी खीझ निकालकर भाजपा और ईडी को कठघरे मे खड़ा करने वाले राहुल गांधी आज खुद देश की जनता की अदालत में सवालों के घेरे में हैं । खुन्नस में शायद राहुल यह भूल गए कि "ये पब्लिक है सब जानती है"। राहुल के लिए लोकतंत्र के चारों स्तंभ गलत हैं । तब सवाल है कि फिर संविधान बचाने और देश बचाने की दुहाई क्यों देते हैं । राहुल गांधी विधायिका और कार्यपालिका पर पहले ही उंगली उठा चुके हैं और लगातार टिप्पणियां कर ...

रामलीला में हुई राहुललीला

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक रामलीला मैदान की रैली में कांग्रेस ने काफी लोग जुटा लिए। हरियाणा से भूपेंद्र हुड्डा और राजस्थान से अशोक गहलोत ने जो अपना जोर लगाया, उसने कांग्रेसियों में उत्साह भर दिया लेकिन यह कहना मुश्किल है कि इस रैली ने कांग्रेस को कोई नई दिशा दिखाई है। इस रैली में कांग्रेस का कोई नया नेता उभरकर सामने नहीं आया। कांग्रेस के कई मुख्यमंत्री और प्रादेशिक नेता भी मंच पर दिखाई दिए लेकिन उनकी हैसियत वही रही, जो पिछले 50 साल से थी। सारे अनुभवी, योग्य और उम्रदराज नेता ऐसे लग रहे थे, जैसे किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजर या बाबू हों। पिछले दिनों कांग्रेस के पुनर्जन्म की जो हवा बह रही थी, वह उस मंच से नदारद रही। राहुल गांधी इस पार्टी के अध्यक्ष रहें या न रहें, बनें या न बनें, असली मालिक तो वही हैं, यह इस रैली ने सिद्ध कर दिया। रामलीला मैदान में हुई राहुललीला क्या यह स्पष्ट संकेत नहीं...

‘गुलाम’ के कांग्रेस से ‘आजाद’ होने के मायने

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- प्रभुनाथ शुक्ल कांग्रेस के साथ अजीब विडंबना है। एक तरफ राहुल गांधी 'भारत जोड़ो अभियान' चला रहे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी खुद को बिखरने से नहीं बचा पा रही। कांग्रेस को जितनी उठाने की कोशिश की जा रही है वह दिन-ब-दिन उतनी ही कमजोर होती जा रही है। गुलाम नबी आजाद और दूसरे नेताओं का कांग्रेस से छिटकना बताता है कि पार्टी में सामंजस्य नहीं है। स्थिति यह भी इशारा करती है कि पार्टी में सोनिया गांधी की नहीं चल रही है। राहुल गांधी तानाशाह जैसे फैसले ले रहे हैं ? राहुल गांधी एक तरफ खुद पार्टी की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते दूसरी तरफ पर्दे के पीछे से पार्टी चलाना चाहते हैं। गुलाम नबी आजाद जैसे अनुभवी राजनेता का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है। कांग्रेस का जहाज डूब रहा है। इसका मलाल 'गांधी परिवार' को भले न हो, लेकिन देश यह सब देख रहा है। बावजूद इसके कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने आंखों पर प...

कांग्रेस में गुलाम-संस्कृति

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक कश्मीरी नेता गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस को छोड़ देना कोई नई बात नहीं है। उनके पहले शरद पवार और ममता बनर्जी जैसे कई नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं। इस बार गुलाम नबी का बाहर निकलना ऐसा लग रहा है, जैसे कांग्रेस का दम ही निकल जाएगा। कांग्रेस के कुछ छोटे-मोटे नेताओं ने आजाद के मोदीकरण की बात कही है। यह लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेहद भावुक होकर गुलाम नबी को राज्यसभा से विदाई देने के वाकये को जोड़कर देख रहे हैं। लेकिन कई अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह गुलाम नबी भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। वे अपनी पार्टी बनाएंगे, जो जम्मू-कश्मीर में ही सक्रिय रहेगी। वे कोई अखिल भारतीय पार्टी नहीं बना सकते। जब शरद पवार और ममता बनर्जी नहीं बना सके तो गुलाम नबी के लिए तो यह असंभव ही है। हां, यह हो सकता है कि वे अपने प्रांत में भाजपा के साथ हाथ मिलाकर चुनाव लड़ लें। सच्चाई तो यह है कि पिछ...

कांग्रेस के सत्याग्रह का अर्द्धसत्य!

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी कैंडलर के अगस्त महीने का विशेष महत्व है। विडंबना देखिए वर्तमान कांग्रेस भी अगस्त में सत्याग्रह कर रही है। इस सत्याग्रह का अर्द्धसत्य, पूर्ण सत्य से भी विराट है। इसकी शुरुआत ईडी के नेशनल हेराल्ड घोटाले की जांच के विरोध में हुई मगर यह दांव उल्टा पड़ा। जब देश जान गया कि कांग्रेस जांच से परेशान है तो इस सत्याग्रह का निशाना महंगाई की तरफ कर दिया गया। कांग्रेस का यह अगस्त सत्याग्रह चर्चा में है। नेशनल हेराल्ड की स्थापना करते समय जवाहर लाल नेहरू ने यह नहीं सोचा होगा कि यह संपत्ति घोटाले को लेकर चर्चित होगा। उस समय अखबार निकालना भी स्वतंत्रता संग्राम का अस्त्र हुआ करता था। महात्मा गांधी ने संभवतः भविष्य को भांप चुके थे। इसलिए उन्होंने स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस को समाप्त करने का सुझाव दिया था। गांधी कहते थे कि कांग्रेस का उद्देश्य देश...

झारखंड : मुर्मू को वोट देने के बाद से कांग्रेस में बना था टूट का खतरा, 3 विधायकों के पकड़े जाने से टला संकट

देश, राजनीति
रांची । राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड (Jharkhand) में यूपीए (UPA) की ओर से दस क्रॉस वोट (cross vote) डाले जाने के बाद से ही सूबे की राजनीति में बड़े फेरबदल की चर्चा होने लगी थी। कांग्रेसी विधायकों (Congress MLAs) के टूटने की आशंकाओं से जुड़ी खबरों को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय (Avinash Pandey) रांची पहुंचे थे। दूसरी ओर कांग्रेस के एक-एक विधायक पर कड़ी निगरानी रखी जाने लगी। राजनीति के क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि जिस प्रकार सरकार गिराने की साजिश की बात कही जा रही है, उस हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस के तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद सरकार गिरने का खतरा फिलहाल टल गया है। जानकारों का कहना है कि यदि दो तिहाई कांग्रेसी समूह बनाकर भाजपा के साथ सदन में पेश अनुपूरक बजट के दौरान क्रॉस वोटिंग कर देते तो सरकार अल्पमत में आ सकती थी, लेकिन कांग्रेस की सख्ती और तीन ...