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मई में खुदरा महंगाई दर 12 महीने के निचले स्तर पर

मई में खुदरा महंगाई दर 12 महीने के निचले स्तर पर

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। महंगाई के र्मोचे पर आम आदमी को राहत देने वाली खबर है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) (Consumer Price Index (CPI) पर आधारित देश की खुदरा महंगाई दर (Country's retail inflation rate) मई में सालाना आधार पर घटकर 12 महीने के निचले स्तर 4.75 फीसदी (Decrease to 12 month low of 4.75 percent) पर आ गई है। इससे पिछले महीने अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 4.83 फीसदी थी, जबकि जुलाई 2023 में 4.44 फीसदी रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मामूली गिरावट से मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई घटकर 12 महीने के निचले स्तर 4.75 फीसदी पर पहुंच गई है। खुदरा महंगाई अप्रैल 2024 में 4.83 फीसदी और मई 2023 में 4.31 फीसदी थी। मई में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 8.69 फीसदी रही, जो अप्रैल में 8.70 फीसदी थी। ...
आम आदमी को झटकाः नौ महीने के उच्चतम स्तर 0.73 फीसदी पर पहुंची थोक महंगाई दर

आम आदमी को झटकाः नौ महीने के उच्चतम स्तर 0.73 फीसदी पर पहुंची थोक महंगाई दर

देश, बिज़नेस
नई दिल्ली (New Delhi)। खुदरा ( after retail) के बाद थोक महंगाई (wholesale inflation) के मोर्चे पर भी आम आदमी को झटका (shock to the common man) देने वाली खबर है। दिसंबर में थोक महंगाई दर (Wholesale inflation) बढ़कर नौ महीने के उच्चतम स्तर 0.73 फीसदी (rises nine-month high of 0.73 percent) पर पहुंच गई है। इससे पहले नवंबर महीने में यह 0.26 फीसदी रही थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को जारी आंकड़ों में बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक महंगाई दर दिसंबर में बढ़कर 0.73 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले थोक महंगाई दर अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक लगातार शून्य से नीचे बनी हुई थी, जबकि नवंबर महीने में यह उछल कर 0.26 फीसदी हो गई थी। मंत्रालय के मुताबिक थोक महंगाई दर में यह उछाल खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों तथा दालों की कीमतों में तेज से आई है। आंकड़ों के मुताबिक डब्ल्...
प्रधानमंत्री मोदी का सुशासन और साकार होता आमजन का सपना

प्रधानमंत्री मोदी का सुशासन और साकार होता आमजन का सपना

अवर्गीकृत
- डॉ. सौरभ मालवीय प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी के शासनकाल के दस वर्ष पूर्ण होने वाले हैं। उन्होंने 26 मई, 2014 को प्रथम बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के पश्चात घोषणा की थी कि उनकी सरकार जनहित के लिए तथा अन्तयोदय के लिए कार्य करेगी। उन्होंने अपनी घोषणा में जो शब्द कहे, उस पर वह शत-प्रतिशत खरे सिद्ध हुए। उनके अब तक के संपूर्ण कार्यकाल पर दृष्टि डालें तो यह सेवा एवं सुशासन पर ही केंद्रित रहा है। प्रधानमंत्री का कहना है कि सुशासन राष्ट्र की प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हमारा मंत्र, उद्देश्य व सिद्धांत नागरिकों को प्राथमिकता देने का है। मेरा सपना सरकार को लोगों के समीप लाने का है, ताकि वे प्रशासनिक प्रक्रिया के सक्रिय भागीदार बन सकें। सरकारी कामकाज की प्रक्रिया को आसान कर आसानी से सुशासन सुनिश्चित किया जा सकता है। उनका यह भी कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और ...
विश्लेषण: आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतरता बजट

विश्लेषण: आम आदमी की उम्मीदों पर खरा उतरता बजट

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल सबसे लंबा बजट भाषण देने, परम्परा में बदलाव और पेपरलेस बजट जैसे कई रिकॉर्ड कायम करने के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एक फरवरी को अपना पांचवां आम बजट पेश किया। यह बजट मोदी सरकार का 11वां और केन्द्र सरकार के मौजूदा कार्यकाल का पांचवां बजट था। इस बजट पर पूरे देश की नजरें केन्द्रित थी क्योंकि आम आदमी को इस बजट से ढेर सारी उम्मीदें थी। दरअसल माना जा रहा था कि इस वर्ष होने जा रहे कई विधानसभा चुनावों के साथ-साथ अगले वर्ष लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बजट में आम जनता के लिए राहतों का पिटारा खोला जाएगा और ये उम्मीदें बेकार भी नहीं गई। सरकार ने 45 लाख करोड़ रुपये के खर्च का जो बजट प्रस्तुत किया है, उसमें सरकार की पावतियां केवल 23.3 लाख करोड़ रुपये की ही होंगी और इस भारी-भरकम घाटे को पूरा करने के लिए सरकार विनिवेश के जरिये करीब 51 हजार करोड़ रुपये की धनराशि...

मुंशी प्रेमचंद: आम आदमी की कलम

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह और उपन्यास सम्राट महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद ने अपने लेखन के माध्यम से न सिर्फ दासता के विरुद्ध आवाज उठाई बल्कि लेखकों के उत्पीड़न के विरुद्ध भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने उपन्यासों और कहानियों के अलावा नाटक, समीक्षा, लेख, संस्मरण इत्यादि कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। प्रेमचंद ऐसे कहानीकार और साहित्यकार हैं जिन्हें आज भी सबसे ज्यादा पढ़ा जाता है। उन्हें ‘आम आदमी का साहित्यकार’ भी कहा जाता है। चूंकि उनकी लगभग सभी कहानियां आम जीवन और उसके सरोकारों से ही जुड़ी हैं, इसीलिए उनके सबसे ज्यादा पाठक आम लोग रहे हैं। दरअसल उन्होंने अपने सम्पूर्ण लेखन में एक आम गरीब आदमी की पीड़ा को न केवल समझा बल्कि अपनी कहानियों और उपन्यासों के जरिये उसका निदान बताने का प्रयास भी किया। उन्होंने अपनी लगभग सभी रचनाओं में आम आदमी की भावनाओं, उनकी परिस्थितियों, ...