Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Climate Change

हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन और न्यूनीकरण

हिमाचल प्रदेश में आपदा प्रबंधन और न्यूनीकरण

अवर्गीकृत
- कुलभूषण उपमन्यु समग्र हिमालय की तरह हिमाचल प्रदेश भी जलवायु परिवर्तन के इस दौर में लगातार आपदाओं की चपेट में आता जा रहा है। गत वर्ष की तबाही को अभी तक प्रदेश भूल नहीं पाया है। आपदा प्रभावितों के जख्मों पर अभी तक भी पूरी तरह से मरहम नहीं लगाया जा सका है। प्रदेश की कमजोर आर्थिकी और केंद्रीय सहायता के इंतजार में बहुत काम लटका पड़ा है। खासकर जिनके मकानों के नीचे की जमीन भी क्षतिग्रस्त हो गई है, उन्हें वन संरक्षण अधिनियम के चलते वैकल्पिक जमीन देना भी असंभव बना हुआ है। हिमाचल प्रदेश का 67 प्रतिशत भूभाग वन भूमि है, जिसका भूमि उपयोग बदलना टेढ़ी खीर बना हुआ है। गत वर्ष दो हजार घर पूरी तरह से तबाह हो गए थे और नौ हजार आंशिक रूप से तबाह हुए। 400 से अधिक मूल्यवान जीवनकाल का ग्रास बन गए थे। बाढ़ और भू-स्खलन का यह दौर चाहे जलवायु परिवर्तन के चलते भयंकर स्थिति में पहुंच गया हो या अवैज्ञानिक निर्माण कार्...
जलवायु परिवर्तन और भारतीय चुनाव

जलवायु परिवर्तन और भारतीय चुनाव

अवर्गीकृत
- कुलभूषण उपमन्यु संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व मौसम विज्ञान संस्था ने एशिया में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर एक रिपोर्ट गत सप्ताह जारी की है, जिसमें यह बात सामने आई है कि वैश्विक तापमान वृद्धि का प्रभाव एशिया में विश्व औसत से ज्यादा पड़ रहा है। इस क्षेत्र में कई देशों में आज तक का अधिकतम तापमान दर्ज किया गया है, जिसके कारण इस महाद्वीप में 2023 में 90 लाख लोग बाढ़ और तूफान से प्रभावित हुए। दो हजार लोग काल का ग्रास बन गए। जलवायु परिवर्तन ने बाढ़, सूखे और तूफानों की घटनाओं को न केवल बढ़ाया है बल्कि उनकी भयानकता को भी बढ़ाया है, जिसका दुष्प्रभाव वहां के समाज, अर्थ व्यवस्था, और मानव जीवन पर पड़ा है। जलवायु परिवर्तन के मुख्य सूचकों जैसे कि जमीनी तापमान में वृद्धि, ग्लेशियरों का पिघलना, और समुद्र के जलस्तर के बढ़ने से बिगड़ती हुई स्थिति का पता चल रहा है। 1960-1990 के दौर के मुकाबले तापमान वृद्धि...
मानवीय क्रियाकलाप और प्रदूषित होते महासागर

मानवीय क्रियाकलाप और प्रदूषित होते महासागर

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा, पारिस्थितिकी संतुलन, जलवायु परिवर्तन, सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग इत्यादि विषयों पर प्रकाश डालने तथा महासागरों की वजह से आने वाली चुनौतियों के बारे में दुनिया में जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 08 जून को ‘विश्व महासागर दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस महासागरों को सम्मान देने, उनका महत्व जानने तथा उनके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने का अवसर प्रदान करता है। मानव जीवन में महासागरों की महत्वपूर्ण भूमिका और इनके संरक्षण के लिए अनिवार्य प्रयासों के संबंध में वैश्विक जागरुकता बढ़ाने के लिए ही इस दिवस का आयोजन किया जाता है। दरअसल समुद्रों का हमारे जीवन में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन बढ़ते मानवीय क्रियाकलापों के कारण दुनियाभर के महासागर बुरी तरह प्रदूषित हो रहे हैं। इसीलिए विश्व महासागर दिवस के आयोजन के जरिये समुद्रों की साफ-स...
विकास न बने विनाश का कारण

विकास न बने विनाश का कारण

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा भले ही जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया के देश लाख चिंता जता रहे हों। शिखर सम्मेलनों में नित नए प्रस्ताव पारित किए जा रहे हों। पर वास्तविकता तो यही है कि दुनिया के देश पिछले आठ साल से लगातार सबसे ज्यादा गर्मी से जूझते आ रहे हैं। पिछले सालों में ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार जिस तरह से बढ़ रही है। जिस तरह से जंगलों में दावानल हो रहा है। जिस तरह से समुद्री तूफान, चक्रवात या सुनामियां आए दिन अपना असर दिखा रही हैं। वास्तव में यह अत्यधिक चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस क्षेत्र में काम कर रहे विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना है कि ग्लेशियर किनारे बसे शहरों के अस्तित्व का संकट भी मुंह बाये खड़ा दिखाई देने लगा है। हालांकि समय पर सूचनाओं और डिजास्टर मैनेजमेंट व्यवस्था में सुधार का यह तो असर साफ दिखने लगा है कि प्राकृतिक आपदाओं के चलते जनहानि तो न्यूनतम हो रही है पर जिस तर...
आप भी आइए ‘गज उत्सव’ में

आप भी आइए ‘गज उत्सव’ में

अवर्गीकृत
- भूपेंद्र यादव यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए जैव-विविधता संरक्षण सर्वोत्तम रणनीतियों में से एक है। जैव-विविधता संरक्षण एक जटिल प्रयास होता है, क्योंकि जैविक समुदाय अपने पर्यावरण से गहरे रूप से जुड़े रहते हैं। कुछ महत्वपूर्ण प्रजातियों का संरक्षण तथा कुछ आवश्यक तथ्यों पर आधारित दृष्टिकोण, चुनौती का मुकाबला करने में सहायता कर सकता है। विश्व स्तर पर लुप्तप्राय एशियाई हाथी (एलीफस मैक्सिमस) का भारत में संरक्षण इसका एक उदाहरण है। भारत में हाथियों और लोगों के बीच का संबंध गहरा है और दुनिया में विशिष्ट है। भारत में हाथियों की समृद्धि के प्रतीक के रूप में पूजा की जाती है। वे सांस्कृतिक प्रतीक हैं और हमारे धर्म, कला, साहित्य और लोककथाओं के हिस्से हैं। भारतीय महाकाव्य हाथियों के संदर्भों से भरे पड़े हैं। यह भी माना जाता है कि महाभारत को भगवान गणेश ने अपने एक टूटे...