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जी20 अब महिलाओं, बच्चों व किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण की दिशा में करे कार्य

जी20 अब महिलाओं, बच्चों व किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण की दिशा में करे कार्य

अवर्गीकृत
- अमिताभ कांत/ हेलेन क्लार्क वैश्विक स्तर पर सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने की दृष्टि से महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य में निवेश करना बेहद महत्वपूर्ण है। हर वर्ष, सभी जी20 देशों में कुल मिलाकर लगभग दो मिलियन माताओं, नवजात शिशुओं, बच्चों और किशोरों की मौतें होती हैं। इनमें मृत बच्चों का जन्म भी शामिल है। इन सभी मौतों को रोका जा सकता है। हाल के वर्षों में, इन नकारात्मक परिणामों के प्रमुख कारकों में “चार सी” शामिल हैं: कोविड-19, संघर्ष (कनफ्लिक्ट), जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) और जीवन-यापन की बढ़ती लागत का संकट (कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस)। इन कारकों ने संयुक्त रूप से महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण को भारी नुकसान पहुंचाया है। प्रणालीगत भेदभाव और मौसम की चरम घटनाओं, खाद्य असुरक्षा एवं गरीबी में वृद्धि महिलाओं, बच्चों व किशोरों की स्वास्थ्य संबंधी प्रगति में प...
“स्कूल बहुत अच्छा बना, बच्चों मन लगाकर पढ़ाई करना” : शिवराज

“स्कूल बहुत अच्छा बना, बच्चों मन लगाकर पढ़ाई करना” : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने किया डॉ. भीमराव अंबेडकर सीएम राईज स्कूल भवन का लोकार्पण भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को स्कूल चलें हम अभियान के अन्तर्गत शाजापुर जिले के ग्राम गुलाना में डॉ. भीमराव अंबेडकर सीएम राईज स्कूल के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण किया। भवन की लागत 24 करोड़ 99 लाख रुपये है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कक्षा 3, 5, 9, 10 तथा 11वीं के क्लास रूम में जाकर छात्रों से रू-ब-रू होकर पूछा कि “नया शाला भवन कैसा बना है।” इस पर छात्रों ने एक स्वर में कहा कि “मामाजी बहुत बढ़िया स्कूल बना है।” मुख्यमंत्री ने छात्रों से कहा कि शाला भवन बहुत अच्छा है, खूब मन लगाकर पढ़ाई करें। अच्छी पढ़ाई करने से जीवन खुशहाल बन जाएगा। मुख्यमंत्री ने नवीन शाला भवन के निरीक्षण के दौरान अलग-अलग कक्षाओं में जाकर छात्रों से कहा कि व्यक्तित्व विकास के लिये हमें सभी कलाओं का ज्ञान होना चाहिये। निरन्तर अभ्यास और...
शिक्षा से दूर, बच्चे ही मजबूर

शिक्षा से दूर, बच्चे ही मजबूर

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- सुशील पाण्डेय पढ़ने-लिखने की उम्र में श्रम के तंदूर में झुलसता बचपन किसी के लिए भी त्रासद हो सकता है। आखिर कौन माता-पिता नहीं चाहता कि उसका बेटा भी पढ़-लिखकर सुसभ्य नागरिक और देश का निर्माता बने। यह तब है जब भारत में बाल श्रम के खिलाफ राष्ट्रीय कानून और नीतियां प्रभावी हैं। भारत का संविधान (26 जनवरी 1950) मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत की विभिन्न धाराओं के माध्यम से कहता है-14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्टरी या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जाएगा (धारा 24)। राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके और बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो तथा वे अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल काम में आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्...
बच्चों का यौन शोषण और भारतीय परिप्रेक्ष्य

बच्चों का यौन शोषण और भारतीय परिप्रेक्ष्य

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- प्रियंक कानूनगो भारत सदा से ही अपने मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश के कारण अलग पहचान के साथ विश्व का मार्गदर्शन करता आ रहा है। हमारी संस्कृति और समाज चिरकाल से ही ऐसे मजबूत मूल्यों पर खड़ा है, जिसने अनेकों विपरीत परिस्थितियों में भी अपने को कायम रखते हुए न सिर्फ अपना बल्कि विश्व के विकास को भी गति दी है। किंतु हमारी यही विलक्षणता अकसर ऐसी शक्तियों के निशाने पर रही है जो अपनी संस्कृति और सामाजिक ढांचे को हम पर थोपना चाहते हैं। हमारा इतिहास ऐसे अनेकों उदाहरणों से पटा पड़ा है जब हमने अपनी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए बलिदान दिए हैं। हालांकि इतिहास के स्थान पर वर्तमान में होने वाले सांस्कृतिक आक्रमणों का स्वरूप बदल चुका है। वर्तमान में अपने सांस्कृतिक मूल्यों को थोपने के लिए बच्चों और टीनेजर को निशाना बनाया जा रहा है। कई मायनों में किसी संस्कृति को अपहृत करने का यह सबसे आसान तरीका ...
बंद करो बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाना

बंद करो बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाना

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- आर.के. सिन्हा राजस्थान के कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए अन्य राज्यों से आए तीन नौजवानों के आत्महत्या करने की घटना को सुनकर दिल दहल जाता है। जिन बच्चों का अभी सारा जीवन संभावनाओं से भरा पड़ा हुआ था, उन्होंने अपनी जीवन लीला को यूँ ही एक झटके में खत्म कर लिया। मृतक छात्रों में दो बिहार और एक मध्यप्रदेश के रहने वाले थे, जिनकी उम्र 16, 17 और 18 साल थी। मृतक छात्रों में बिहार के रहने वाले दोनों छात्र अंकुश और उज्ज्वल एक ही हॉस्टल में रहते थे। एक इंजीनियरिंग की कोचिंग कर रहा था, वहीं दूसरा मेडिकल की तैयारी करता था। मध्यप्रदेश का छात्र प्रणव नीट की तैयारी करता था। कोटा या देश के अन्य भाग में नौजवानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कुछ समय पहले कोटा में ही नीट की तैयारी कर रहे कोचिंग स्टूडेंट ने फंदा लगाकर खुदखुशी कर ली थी। उसके पास से पुलिस को एक सु...
आखिर कब तक बोरवेल में दम टूटेगा बच्चों का

आखिर कब तक बोरवेल में दम टूटेगा बच्चों का

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मांडवी गांव में 55 फीट गहरे बोरवेल में फंसे आठ वर्षीय मासूम तन्मय साहू की मौत ने फिर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 84 घंटों की जद्दोजहद के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। हालांकि इसी साल 10 जून को छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में 80 फीट गहरे बोरवेल में गिरे 11 साल के राहुल को 104 घंटे के अब तक के सबसे लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था लेकिन 22 मई को पंजाब के होशियारपुर जिले के गढ़दीवाला के समीप बहरामपुर में 300 फीट गहरे बोरवेल में करीब 95 फुट नीचे फंसकर छह वर्षीय बच्चा ऋतिक मौत की नींद सो गया था। हर साल बोरवेल में बच्चों के गिरने के अब कई मामले सामने आते हैं, जिनमें से अधिकांश की बोरवेल के भीतर ही दम घुटकर मौत हो जाती है। बोरवेल हादसे पिछले कुछ वर्षों से जागरुकता के प्रयासों के बावजूद निरन्तर सामने आ रहे हैं किन्तु इनसे ...
ऋषियों की संतान हैं भारत की समस्त जनजातियाँ

ऋषियों की संतान हैं भारत की समस्त जनजातियाँ

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- रमेश शर्मा भारतीय वैदिक चिंतन और विज्ञान का अनुसंधान आपस में मेल खाते हैं यदि इन दोनों को आधार बनाकर विचार करें तो हम इस निष्कर्ष पर सरलता से पहुँच जायेंगे कि भारत में निवासरत समस्त जनजातियाँ ऋषियों की संतान हैं। सत्य के अन्वेषण के लिये यह आवश्यक है कि हमारा दृष्टिकोण व्यापक हो और हम किसी एक दिशा या धारणा से मुक्त होकर विचार करें। यह सिद्धांत जीवन के प्रत्येक आयाम पर लागू होता है। आज हमें भले वन में निवासरत सभी जनजातीय बंधु और नगरों में विलासिता का जीवन जीने वाले समाज पृथक लग सकते हैं किन्तु यदि अतीत की विकास यात्रा का अध्ययन करें तो यह जानकर हमें आश्चर्य होगा कि दोनों जीवन एक रूप हैं और सभी ऋषियों की संतान हैं। ऐसा नहीं है कि नगरों में जीवन का अंकुरण अलग हुआ और वनों में अलग। नगर या ग्राम तो जीवन यात्रा का विकसित स्वरूप हैं। जो समय के साथ विकसित हुये। जीवन का अंकुरण तो वनों में ही हुआ।...
अहोई अष्टमी: संतान की दीर्घायु की कामना का व्रत

अहोई अष्टमी: संतान की दीर्घायु की कामना का व्रत

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- योगेश कुमार गोयल भारतीय समाज में प्रत्येक त्योहार का अपना एक विशेष महत्व है। ऐसे प्रत्येक अवसर पर की जाने वाली पूजा तथा व्रत में कोई न कोई विशेष उद्देश्य निहित होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष में तो वैसे भी तिथि-त्योहारों की भरमार रहती है। जिस प्रकार सम्पूर्ण भारत में पति की दीर्घायु की कामना के लिए ‘करवा चौथ’ व्रत मनाया जाता है, ठीक उसी प्रकार करवा चौथ के चार दिन पश्चात् संतान की सुख-समृद्धि तथा लंबी आयु की कामना के लिए ‘अहोई अष्टमी’ व्रत रखा जाता है। अहोई अष्टमी के दिन माता पार्वती की पूजा का विधान है। दरअसल माता पार्वती संतान की रक्षा करने वाली देवी मानी गई हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रताप से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत के प्रताप से बच्चों की रक्षा होती है, वहीं इसे संतान प्राप्ति के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है। अहोई अष्टमी व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत...

मास्टर जी, मत मारो बच्चों को

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- आर.के. सिन्हा दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया अपने आप को किसी महान शिक्षाविद् से कम नहीं मानते। उनके विधानसभा क्षेत्र में, जिधर उनका दफ्तर है, उससे सटे दिल्ली सरकार के एक स्कूल के शिक्षक ने अपने 15 साल के छात्र की ऐसी बेरहमी से पिटाई की कि किसी का भी कलेजा कांप उठेगा। उस कथित अध्यापक ने बच्चे को इतना पीटा कि उसे सीरियस हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। छात्र का दोष सिर्फ इतना था कि वह होमवर्क का नोटबुक घर पर भूल गया था। विगत दिनों जब इस घटना का खुलासा हुआ तो सभी के होश उड़ गए। रात को बच्चा ट्यूशन से घर लौटा तो उसके कान में दर्द उठने लगा। थोड़ी देर में उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। उसके माता-पिता उसे अस्पताल ले गये। जहां तीन दिनों तक उसका इलाज करके उसकी जान तो बचा ली गई पर कान का नुकसान वह जिंदगी भर झेलेगा। वह बहरा हो जाये तो उस शिक्षक का क्या जिसने मार-मार कर बच्चे के कान के पर...