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छठः सूर्योपासना की भारतीय संस्कृति और विश्व परंपरा

छठः सूर्योपासना की भारतीय संस्कृति और विश्व परंपरा

अवर्गीकृत
- डॉ. जंग बहादुर पाण्डेय सृष्टि के सभी प्राणियों में मनुष्य सर्वाधिक चिंतनशील एवं क्रियाशील प्राणी है। इसकी तीव्र बुद्धि ने इसे विकास की सीढ़ियां प्रदान की, लेकिन यह मानना होगा कि अभी भी विज्ञान ने हमारे भीतर की कोमल भावनाओं को ध्वस्त नहीं किया है। हम सुख में मुस्कुराते हैं और दुख में आठ आठ आंसू बहाते हैं। इन्हीं सुख-दुखों की भावाभिव्यक्ति से पर्व त्योहारों का श्रीगणेश हुआ है। भारत धर्म प्रधान देश है। आध्यात्म के प्रति महर्षियों की वाणी में धर्म की कीर्ति लहराती थी, नैतिकता का संदेश गूंजता था। हमारा दृष्टिकोण मुख्य रूप से राजनैतिक, आर्थिक अथवा भौतिक न होकर धार्मिक नैतिकतावादी और आध्यात्मिक था। धर्म की दृष्टि से अपने महान उपलब्धियों के दिनों को हमने पर्व त्यौहार की संज्ञा दी है। सभ्यता के विकास के चरण में उन क्षणों का महत्वपूर्ण योग है। भारतीय संस्कृति में सूर्योपासना की प्राचीन परंपरा रह...