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बदलते सामाजिक परिवेश से डिमेंशिया की गिरफ्त में आ रहे हैं बुजुर्ग

बदलते सामाजिक परिवेश से डिमेंशिया की गिरफ्त में आ रहे हैं बुजुर्ग

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा जैसे-जैसे बुजुर्गों की संख्या बढ़ने लगी है वैसे ही डिमेंशिया की बीमारी का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। बहुत कुछ आज की सामाजिक व्यवस्था व सामाजिक परिवेश डिमेंशिया का कारण बनता जा रहा है। एक ओर एकल परिवार, अपने में खोये रहना और दिन-प्रतिदिन की भागमभाग है तो दूसरी और पढ़ने-पढ़ाने की आदत कम होना, प्रमुख कारण है। गूगल गुरु ने तो सबकुछ बदल कर ही रख दिया है। दुनिया में डिमेंशिया प्रभावितों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो अगले 25 साल में डिमेंशिया की रोगियों की संख्या में तीन गुणा बढ़ोतरी हो जाएगी। डिमेंशिया खासतौर से बुजुर्गां की होने वाली बीमारी है। इसमें मनोभ्रांति की स्थिति हो जाती है और भूलने या निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। इसमें बुजुर्ग धीरे-धीरे अपनी याददाशत को खोने लगते हैं। भारत के संदर्भ में यह इसलिए गंभीर ...
राजनीति में बदल रहे नैतिकता के मायने

राजनीति में बदल रहे नैतिकता के मायने

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- सुरेश हिन्दुस्थानी भारतीय राजनीति में ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं, जो आज भी नैतिकता के आदर्श हैं। लेकिन आज की राजनीति को देखकर ऐसा लगने लगा है कि नैतिकता की राजनीति दूसरा तो अवश्य करें, पर जब स्वयं को नैतिकता की कसौटी पर परखने की बारी आए तब नैतिकता के मायने बदल दिए जाते हैं। भारतीय राजनीति में राजनेताओं पर आरोप लगने पर कई लोगों ने अपने पद को त्याग दिया था, जबकि दिल्ली के शराब घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भारतीय राजनीति को अलग राह पर ले जाने का उदाहरण पेश किया है। इस उदाहरण को आदर्श वादिता के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं। यह एक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले व्यक्ति के लिए शोभनीय नहीं हैं। केजरीवाल स्वयं कहते थे कि वे राजनीति में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए आए हैं, लेकिन अब जब उन पर ही सवाल उठ रहे...
आत्मनिर्भर भारत और बदलता कृषि परिदृश्य

आत्मनिर्भर भारत और बदलता कृषि परिदृश्य

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- मुकुंद देश आत्मनिर्भरता की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान ने ग्रामीण जनजीवन की दिशा और दशा बदल दी है। खेती-किसानी की बात की जाए तो मोदी सरकार की 'एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी)' पहल ने कृषि परिदृश्य को बदल दिया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ इस पहल को आर्थिक तरक्की और सांस्कृतिक धरोहर के मधुर संगम के रूप में देख रहे हैं। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने राज्यसभा सत्र-262, अतारांकित प्रश्न क्रमांक– 686, दिनांक-08 दिसंबर 2023 के आधार पर आत्मनिर्भर भारत के बदलते कृषि परिदृश्य पर कुछ उदाहरण देश के सामने रखे हैं। गुजरती फरवरी की शुरुआत में इस पहल पर शब्द चित्र से याद दिलाया गया कि 2018 में साहसिक दृष्टिकोण के साथ बोया गया बीज आज अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह पहल क्षेत्रीय आर्थिक विभाजन को पाटती हुई लोगों को आत्मनिर्भर ब...
विशेष: ब्रेल लिपि बदल रही दृष्टिबाधितों की दुनिया

विशेष: ब्रेल लिपि बदल रही दृष्टिबाधितों की दुनिया

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- योगेश कुमार गोयल संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में करीब 39 मिलियन लोग ऐसे हैं, जो देख नहीं सकते जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है। इनमें से करीब 100 मिलियन लोगों को नजर की ऐसी कमजोरी अथवा विकलांगता है, जिसे रोका जा सकता था या उन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे में संचार के साधन के रूप में ब्रेल लिपि के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने, दृष्टि-बाधित लोगों को उनके अधिकार प्रदान करने और ब्रेल लिपि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 4 जनवरी को ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल के जन्मदिवस को ‘विश्व ब्रेल दिवस’ मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार नेत्र विकार से पीड़ित लोगों के गरीबी और अभाव भरे जीवन से पीड़ित होने की संभावना ज्यादा होती है। संयुक्त राष्ट्र के ‘विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेन्शन’ में ब्रेल लिपि को संचार ...