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धनखड़: संसद बड़ी या अदालत ?

धनखड़: संसद बड़ी या अदालत ?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय न्यायपालिका को दो-टूक शब्दों में चुनौती दे दी है। वे संसद और विधानसभाओं के अध्यक्षों के 83 वें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। वे स्वयं राज्यसभा के सभापति हैं। आजकल केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर लंबा विवाद चल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय का चयन-मंडल बार-बार अपने चुने हुए जजों की सूची सरकार के पास भेजता है लेकिन सरकार उस पर ‘हां’ या ‘ना’ कुछ भी नहीं कहती है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि सरकार का यह रवैया अनुचित है, क्योंकि 1993 में जो चयन-मंडल (कालेजियम पद्धति) तय हुई थी, उसके अनुसार यदि चयन-मंडल किसी नाम को दुबारा भेज दे तो सरकार के लिए उसे शपथ दिलाना अनिवार्य होता है। इस चयन-मंडल में पांचों चयनकर्ता सर्वोच्च न्यायालय के जज ही होते हैं। और कोई नहीं होता। इस पद्धति में कई कमियां देखी गईं। उसे बदलने क...
चीन की चुनौती से निपटने के लिए हमें बनानी होगी व्यापक रणनीति

चीन की चुनौती से निपटने के लिए हमें बनानी होगी व्यापक रणनीति

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- कमलेश पांडेय आपको पता है कि भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई बार झड़प हो चुकी है, जिस दौरान भारतीय सेना ने अद्भुत शौर्य और पराक्रम दिखाते हुए कई बार चीनी सेना को खदेड़ चुकी है। इस दौरान हमारी सेना ने अपने वीर जवानों के बलिदान भी दिए हैं, जिस पर पूरे देश को गर्व है। अब तेजी से बदलते जियो-पॉलिटिक्स के बीच वक्त की मांग है कि चीन की चुनौती से निपटने के लिए हम व्यापक रणनीति बनाएं, ताकि 1962 का शर्मनाक इतिहास खुद को दोहरा नहीं पाए। बता दें कि स्वतंत्र भारत में भारत और चीन के बीच एक बार ही युद्ध साल 1962 में हुआ था। तब एक माह तक चले युद्ध के दौरान चीन ने भारत की काफी जमीन हड़प ली थी, जिसे वापस पाने के लिए पीओके की तरह ही संसदीय प्रतिबद्धता दिखाने की जरूरत है। इस बात में दो राय नहीं कि सामरिक महत्व की दृष्टि से सीओके यानी चीन ओक्यूपाइड कश्मीर का अपना महत्व है। इतिहास गवाह है कि 1967 ...
निवेश में अब यूपी दे रहा महाराष्ट्र को चुनौती

निवेश में अब यूपी दे रहा महाराष्ट्र को चुनौती

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- आर.के. सिन्हा लखनऊ और मुंबई के बीच फासला भले ही 1350 किलोमीटर से कुछ अधिक ही हो, पर अब महाराष्ट्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी निवेशक झोली भरकर निवेश लाने में लगे हैं। महाराष्ट्र तो परंपरागत रूप से भारत का सबसे खास औद्योगिक राज्यों में से एक रहा है। उत्तर प्रदेश अब महाराष्ट्र का तेजी से निजी क्षेत्र के निवेश में मुकाबला कर रहा है। हालांकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य की छवि कभी महाराष्ट्र जैसी नहीं रही थी। केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट देखें तो महाराष्ट्र में सर्वाधिक निजी क्षेत्र का निवेश आ रहा है। उसके बाद दिल्ली का स्थान है और फिर उत्तर प्रदेश का। उत्तर प्रदेश की यह उपलब्धि अप्रत्याशित ही मानी जाएगी। बेशक, उत्तर प्रदेश अपने को अब तेजी से बदल रहा है। राज्य सरकार को समझ आ गया है कि बिना निजी क्षेत्र के निवेश के राज्य का हरेक क्षेत्र में विकास मुमकिन ...
PKL: यूपी योद्धा प्लेऑफ में जगह बनाने के साथ बेंगलुरु बुल्स को चुनौती देने को तैयार

PKL: यूपी योद्धा प्लेऑफ में जगह बनाने के साथ बेंगलुरु बुल्स को चुनौती देने को तैयार

खेल
हैदराबाद। फॉर्म में चल रही यूपी योद्धा की टीम (UP Yoddha team), आज 4 दिसंबर को बेंगलुरू बुल्स (Bengaluru Bulls) का सामना करेगी। पिछले लगातार चार मैचों में अजेय रही यूपी की टीम प्रो कबड्डी लीग के नौवें सीजन (pro kabaddi league ninth season) में प्ले-ऑफ में अपनी जगह पक्की कर चुकी है। यूपी योद्धा जिन्होंने अपने पिछले 8 मैचों में से 7 मैच जीते हैं, वर्तमान में लीग तालिका में 65 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर हैं, जबकि बेंगलुरु बुल्स 63 अंकों के साथ चौथे स्थान पर है। यूपी योद्धा और बेंगलुरु बुल्स ने प्रो कबड्डी लीग के इतिहास में 12 बार एक दूसरे का सामना किया है। जहां यूपी योद्धा ने पांच मैच जीते हैं, वहीं, बेंगलुरु बुल्स ने सात बार जीत हासिल की है। हालांकि, अपने आखिरी मुकाबले में यूपी योद्धा ने बेंगलुरू बुल्स को 44-37 से हराया, परदीप नरवाल और सुरेंद्र गिल ने 14-14 अंक अर्जित किए। तो बेंगलुरू बुल्...
औपनिवेशिकता से उबरने की चुनौती

औपनिवेशिकता से उबरने की चुनौती

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- गिरीश्वर मिश्र भारत में ज्ञान और शिक्षा की परम्परा की जड़ें न केवल गहरी और अत्यंत प्राचीन हैं बल्कि यहां विद्या को अर्जित करना एक पवित्र और मुक्तिदायी कार्य माना गया है । इसके विपरीत पश्चिम में ज्ञान का रिश्ता अधिकार और नियंत्रण के उपकरण विकसित करना माना जाता रहा है ताकि दूसरों पर वर्चस्व और एकाधिकार स्थापित किया जा सके । उसी रास्ते पर चलते हुए पश्चिमी दुनिया में मूल्य-निरपेक्ष विज्ञान के क्षेत्र का अकूत विस्तार होता गया और उसके परिणाम सबके सामने हैं । ऐतिहासिक परिवर्तनों के बीच विज्ञान की यह परम्परा यूरोप और अमेरिका से चल कर दुनिया के अन्य क्षेत्रों में फैली । इतिहास गवाह है कि औपनिवेशक दौर में पश्चिम से लिए गए विचार, विधियाँ और विमर्श अकेले विकल्प की तरह दुनिया के अनेक देशों में पहुँचे और हाबी होते गए । ऐसा करने करने का प्रयोजन ‘अन्य’ के ऊपर आधिपत्य था । इस प्रक्रिया में अंतर्निहित ए...