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समान नागरिक संहिता पर केंद्रीय कानून की जरूरत

समान नागरिक संहिता पर केंद्रीय कानून की जरूरत

अवर्गीकृत
- डॉ. अनिल कुमार निगम समान नागरिक संहिता बनाने के मामले में उत्तराखंड सरकार ने जिस तरीके से पहल की है, उससे हम सब के जेहन में एक अहम सवाल यह है कि क्या केंद्र की एनडीए सरकार इस पर कानून बनाकर संपूर्ण देश में लागू कर सकती है? अब देश के अन्य राज्यों ने भी इस पर कानून बनाने की योजना बनानी शुरू कर दी है। अगर हर राज्य समान नागरिक संहिता पर अलग- अलग कानून बनाते हैं तो उससे जो संसद द्वारा कानून बनाए गए हैं, मसलन तलाक, उत्तराधिकार अधिनियम, विवाह जैसे अधिनियमों का क्या होगा? ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारों के कानूनों को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी। इसलिए आवश्यक है कि केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता के मामले पर अपनी चुप्पी तोड़े। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने का मुद्दा भाजपा के घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है। इसलिए सवाल उठना लाजमी है क...