जाति की आग को फिर मिलने लगी हवा
- डॉ. प्रभात ओझा
मसला जाति का हो तो राजनीति होनी ही है। यह जाति के आधार पर जनगणना कराने की बात है। यानी हर जगह, कहां कौन सी जाति के कितने लोग हैं। अगले चरण में इसी औसत में सम्बंधित समुदाय को लाभ देने के कदम उठाए जाएं, यह स्वाभाविक है। जानकार लोगों को मंडल कमीशन (दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग) की रिपोर्ट और उसके बहुत बाद केंद्र में वी. पी. सिंह सरकार के समय उस रिपोर्ट को लागू करने के समय की घटनाएं याद होंगी। यहां गौर करने वाली बात यह है कि तब भी ऐसा किसी जातिगत जनगणना के आधार पर नहीं किया गया था। पहले एक आयोग बना। उसी की रिपोर्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की गयी। जातिगत जनगणना तो 92 साल बाद हुई है। वह भी सिर्फ एक प्रांत में। वर्ष 1931 के 92 साल बाद बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। इसी के साथ इसके औचित्य प...