उत्तर प्रदेश में भाजपा के जातीय समीकरण के सामने पस्त विपक्ष
- आशीष वशिष्ठ
एक पुरानी राजनीतिक कहावत है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है। कहते हैं यहां पर जिसने जितनी सीटें जीतीं, उसके लिए नई दिल्ली तक पहुंचने का रास्ता उतना ही आसान हुआ। उत्तर प्रदेश में विजय का परचम लहराने के लिए जातियों की समझ ही सब कुछ है। यहां विकास के नाम पर वोट भी तभी मिलता है, जब जातियों को सही तरह से साधा जाए। बात चाहे ओबीसी की हो, मुस्लिम की हो या सवर्ण समाज को साधने की, सभी का उत्तर प्रदेश की सियासत में अहम योगदान रहता है। यहां के बारे में एक कहावत चर्चित है कि यहां वोटर नेता को वोट नहीं देते बल्कि जाति को देते हैं।
जाहिर है कि सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीट वाले उत्तर प्रदेश पर हर पार्टी की नजर है। यहां भारतीय जनता पार्टी से लेकर सपा, कांग्रेस और बसपा भी अपना जनाधार मजबूत करने में पूरी ताकत के साथ जुट गई है। जाति, धर्म और वर्ग के आधार पर अपने-अपने वोट बैंक को दुरु...