Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Caste census

मोदी मैजिक में निरर्थक विपक्षी मुद्दे

मोदी मैजिक में निरर्थक विपक्षी मुद्दे

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री इंडी एलायंस का मंसूबा विफल हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कमजोर समझने की उनकी गलतफहमी दूर हुई। राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हाथ से निकल गए। मध्य प्रदेश में कांग्रेस पहले से ज्यादा कमजोर हो गई। जातिगत जनगणना का राग निष्प्रभावी साबित हुआ। विपक्ष ने इसे ट्रम्प कार्ड के रूप में प्रयुक्त किया था। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के पास अब कोई कारगर मुद्दा नहीं बचा है। इंडी एलायंस सेमी फाइनल में ही निरर्थक हो गया। विपक्षी गठबंधन ने बहुत उम्मीद के साथ अपना नाम बदला था। वस्तुतः यूपीए की बदनामी के चलते उन्हें ऐसा करना पड़ा। गहन विचार-विमर्श के बाद उन्होंने ऐसा नाम धरा जिसे शॉर्ट फॉर्म में इंडिया कहा जा सकता था। इसके बाद तो गठबंधन के नेता इंडिया शब्द का ऐसे प्रयोग करने लगे जैसे वह पूरे देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उस समय भी अनेक लोगों ने इंडिया शब्द के चु...
जातिगत जनगणना वामपंथियों का सुनियोजित षडयंत्र

जातिगत जनगणना वामपंथियों का सुनियोजित षडयंत्र

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- राजेंद्र तिवारी बात बहुत गहराई की है, समझने की है कि देश में क्या-क्या षड्यंत्र चल रहे हैं। विषय है 'जातिगत जनगणना' का। कुछ लोग 'जातिगत जनगणना' की मांग का राग अलाप रहे हैं। यह समझना होगा कि वृहद हिंदू समाज के विरुद्ध वामपंथियों का यह सुनियोजित षड्यंत्र है और ताज्जुब तो यह है कि इस झांसे में कांग्रेस व अन्य राजनीति दल सत्ता की लालसा में अंधे हो चुके हैं। देखिए, बात को ऐसे समझते हैं, जब किसी बड़े परिवार में विघटन कराने की योजना कुछ ईर्ष्यालु बनाते हैं तो परिवार के सदस्यों में फूट डालने के लिए छोटे, बड़े, ऊंचे, नीचे आदि के भेदभाव की बातें करने लगते हैं। उनमें ईर्ष्या और एक-दूसरे में भेदभाव का बीजारोपण करते हैं। उनमें आपस में लड़ाई कराने की कोशिश करते हैं, और यदि परिवार के सदस्य आपस में लड़ने झगड़ने लगें, तो विघटनकारी बड़े ही खुश होते हैं, फिर तमाशा देखते हैं, उस बड़े परिवार की खिल्ली उड़ात...
जातिगत जनगणना का मतलब वोट के लिए समाज को तोड़ने की साजिश

जातिगत जनगणना का मतलब वोट के लिए समाज को तोड़ने की साजिश

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- श्याम जाजू अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में जातिगत जनगणना के नतीजे जारी किए गए हैं। यह 17 साल से सत्ता पर काबि नीतीश कुमार की मंशा पर सवाल उठाते हैं। बिहार जैसे प्रदेश में जहां पहले लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में कुल 32 वर्षों से पिछड़ों का ही राज हो, वहां आज भी पिछड़ों के पिछड़ा रह जाने का राग अलापा जाए तो सवाल खड़े ही होंगे। जाहिर है इतने वर्ष चुप रहने के बाद चुनावी फायदे की चाह में करवाई गई जाति जनगणना एक राजनीतिक षड्यंत्र और प्रपंच ही है। वैसे भी बिहार में व्यग्तिगत राजनीतिक स्वार्थों के लिए की गई ये प्रक्रिया संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है, क्योंकि 1948 के जनगणना कानून में जातिगत जनगणना करवाने का कोई प्रावधान ही नहीं है। जनगणना का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची की पहली सूची में आता है और इसलिए इस तरह की जनगणना को कराने का अ...