राजनीतिक दलों में मतभेद हों, मनभेद नहीं
सुरेश हिन्दुस्थानी
‘हम भारत के लोग’ यह मात्र एक शब्द नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय एकात्मता की प्रतिध्वनि को प्रकट करने वाला ऐसा शब्द है, जिससे हम प्रेरित हैं। जब हम इस शब्द को उच्चारित करते हैं तो सहज ही हमारे मन में एक ऐसी भावना निर्मित होती है, जो सबको एक परिवार की भांति देखने के लिए काफी है। लेकिन आज हमारे देश के राजनीतिक दल भारत की इस मूल भावना को विस्मृत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह बात सही है कि विचारों की भिन्नता हो सकती है, लेकिन मन में भिन्नता नहीं आनी चाहिए। अगर मन में भिन्नता का अंकुरण प्रस्फुटित होता है तो स्वाभाविक रूप से उसकी परिणति आक्रोश ही होगा। इसलिए आदर्श राजनीतिक विचार की परिभाषा यही है कि मतभेद तो होना चाहिए, लेकिन मनभेद नहीं। आज देश में मनों में भेद उत्पन्न करने की राजनीति की जा रही है। एक तरफ पाकिस्तान जैसा देश अपने नेटवर्क के माध्यम से भारत में मन भेद की कुत्सित चाल...