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गरीब का पराठा और ब्यूरोक्रेसी को संदेश

गरीब का पराठा और ब्यूरोक्रेसी को संदेश

अवर्गीकृत
- ऋतुपर्ण दवे कभी-कभी बहुत मामूली सी बातें न केवल हर कहीं चर्चा का विषय बन जाती हैं बल्कि इतनी भावुक और प्रभावी कर जाती हैं कि पूछिए मत। लेकिन जब मामला विनम्रता, सहजता और गरीब की पोटली में बंधे पराठे खुलवा कर एक टुकड़ा खाने का हो तो दिल को छू ही जाएगी। उसमें भी यदि जिला कलेक्टर और फरियादी का हो तो हर कहीं उदाहरण और चर्चा का विषय बनेगा ही। ऐसा ही एक वाकया उत्तर प्रदेश के औरेया जिले का है जो पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा है। जहां अपने रुतबे और ठसक के लिए आईएएस-आईपीएस पहचाने जाते हैं वहीं औरेया कलेक्टर इन्द्रमणि त्रिपाठी की इससे विपरीत प्रशंसा हो रही है। हो भी क्यों न उनके दफ्तर में डरा-सहमा सा एक ग्रामीण मजदूर अपनी फरियाद लेकर बहुत दूर से आया। दफ्तर में घुसते ही वहां का माहौल उसे असहज कर, घबरा रहा था। लेकिन तुरंत कलेक्टर इन्द्रमणि त्रिपाठी ने उसकी मनोदशा भांपी, पूछा कि घर वापस पहुंचने मे...
ब्यूरोक्रेसी को मोटिवेट करता नरेन्द्र मोदी का संदेश

ब्यूरोक्रेसी को मोटिवेट करता नरेन्द्र मोदी का संदेश

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जयपुर में देशभर के डीजी-आईजी कॉन्फ्रेंस के दौरान तीन दिन की जयपुर यात्रा के पहले दिन राजस्थान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में विधायकों-संगठन पदाधिकारियों के बीच जिस तरह से डबल इंजन की सरकार का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर जोर दिया, वहीं ब्यूरोक्रेसी और तबादलों को लेकर जो संदेश दिया है वह ना केवल समसामयिक है अपितु देश की ब्यूरोक्रेसी के लिए भी उत्साहवर्द्धक है। दरअसल सरकार बदलते ही पूर्व सरकार से जुड़े ब्यूरोक्रेसी में बदलाव का दौर आरंभ हो जाता है और ब्यूरोक्रेसी के अधिकारियों की निष्ठा और प्रतिबद्धता पर प्रश्न उठाये जाने लगते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्यूरोक्रेसी को लेकर साफ संदेश दिया है कि ब्यूरोक्रेसी कभी भी किसी पार्टी की नहीं होती। ब्यूरोक्रेसी हमेशा सरकार की मंशा और मेंडेट के अनुसार काम करती है। ज...