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पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ेगा बुंदेलखण्ड, सीएम ने 1.29 करोड़ लाड़ली बहनों को ट्रांसफर किए 1574 करोड़ रुपये

पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ेगा बुंदेलखण्ड, सीएम ने 1.29 करोड़ लाड़ली बहनों को ट्रांसफर किए 1574 करोड़ रुपये

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि बुंदेलखण्ड, पंजाब और हरियाणा को विकास में पीछे छोड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पराक्रम और शौर्य की धरती बुदेलखंड के लिए विकास का बहुत बड़ा निर्णय लेकर केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की सौगात दी है। बुंदेलखण्ड में आईटी पार्क बनाया जाएगा। विकास का कारवां अब बुंदेलखण्ड और मध्यप्रदेश की धरती से होकर गुजरेगा। मध्यप्रदेश में नए जिलों और संभागों के गठन के लिए मप्र प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग प्राप्त कर प्रतिवेदन देगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को सागर जिले के बीना में आयोजित लाड़ली बहना योजना की हितग्राही बहनों को राशि अंतरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 22 हजार से अधिक थानों की सीमा बदलने का कार्य किया गया। आमजन की सुविधा के लिए बीना सहित अन्य नए जिले और संभाग बनाने की दिशा में कार्यवाही परिसीमन आयोग की अनुशंसा अनुसार क...
‘मन की बात’ और ‘पन्ना की तमन्ना’

‘मन की बात’ और ‘पन्ना की तमन्ना’

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- मुकुंद साल 1973 में एक फिल्म आई थी-हीरा पन्ना। इस फिल्म में एक गीत है 'पन्ना की तमन्ना है कि हीरा मुझे मिल जाये...।' यहां जिक्र मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के पन्ना जिले का हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम के संबोधन के 24 घंटे बाद पन्ना से बड़ी खबर निकल कर आई है कि यहां केन नदी के घड़ियाल अभयारण्य में अब सबसे आधुनिक घड़ियाल ब्रीडिंग सेंटर बनेगा। इसकी कवायद भी शुरू हो गई है। इस अभयारण्य को लुप्तप्राय घड़ियाल या भारतीय मगरमच्छ का घर कहा जाता है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने 25 फरवरी (रविवार) को 'मन की बात' में जीवन में तकनीक के महत्व की बात की। उन्होंने अपने संबोधन में डिजिटल गैजेट्स की सहायता से वन्य जीवों के साथ तालमेल बिठाने का जिक्र किया। कहा- तीन मार्च को विश्व वन्य जीव दिवस मनाया जाएगा। इस साल इसकी थीम में डिजिटल इनोवेशन को सर्वोपरि रखा गया है। देश में ...
बुन्देलखंड में आज भी लोकप्रिय है देवीगीत, नवरात्रि में सदियों से कायम है अचरी

बुन्देलखंड में आज भी लोकप्रिय है देवीगीत, नवरात्रि में सदियों से कायम है अचरी

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बुंदेली धरा में देवी गीत जिन्हे लोक भाषा में अचरी कहते हैं, आज भी बेहद लोकप्रिय है। वर्ष की दोनों नवरात्रियों में इनका गायन प्रचुर मात्रा में होता है, या यूं कहें कि बिना अचरी गायन के नवरात्रि उत्सव फीका नजर आता है। शक्ति की अधिष्ठायी मां जगदम्बे की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी महिमा का गुणगान लोग यहां देवी गीतों के माध्यम से भी करते हैं। देवी गीतों के गायक वैसे तो वर्ष पर्यन्त इसका गायन करते हैं, मगर नवरात्रि में इनका विशेष गायन हर गांव में अवश्य होता है। सामाजिक, धार्मिक व राजनैतिक बिन्दुओं पर देवी गीतों का चलन भी यहां देखने को मिलता है। देवी गीतों के गायक हरिहर पाठक बिदोखर ने बताया कि देवी गीतों से जहां मां जगदम्बे को प्रसन्न करने का सुअवसर मिलता है, वहीं गीतों का गायन और श्रवण करने वालों को आत्म शांति मिलती है। मां की उपासना, आस्था व समर्पण का यह एक बेहतर जरिया है। जिसका प्रचलन लंबे ...
केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड की युगांतकारी परिवर्तन-वाहिनी

केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड की युगांतकारी परिवर्तन-वाहिनी

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- विष्णु दत्त शर्मा बुंदेलखंड की दो दशक पुरानी आस अब पूरी हो रही है। 18 साल से लंबित केन-बेतवा लिंक परियोजना का शुभारंभ क्षेत्र की प्यास के बुझने के साथ ही जीवन बदलने का ऐतिहासिक पड़ाव भी है। चार दशक से बुंदेलखंड की जनता को जिस दिन का बेसब्री से इंतजार था। वह दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ संकल्प से आ गया है। जिस सपने को भाजपा सरकार में ही पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल जी ने देखा और देश में 37 नदियों को आपस में जोड़कर जल संकट को दूर करने का बीड़ा उठाया था, जिसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना भी थी, उसे अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मूर्त रूप मिल गया है। यह भारत की पहली नदी जोड़ो परियोजना है। इसको अंतरराज्यीय नदी हस्तांतरण मिशन के लिये मॉडल योजना के रूप में माना जाता है। लेकिन दुर्भाग्य से अटल जी के बाद की यूपीए सरकार ने इसमें रुचि नहीं दिखायी। हालांकि उन्होंने बुन्देलखंड की...

बुंदेलखंड में विरासत और विकास का स्वर्णिम अध्याय

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री पांच वर्ष पहले तक रानी झांसी का बुंदेलखंड उपेक्षित था। यहां के लोगों ने पहले सपा और बसपा पर विश्वास व्यक्त किया था। इन पार्टियों को पूर्ण बहुमत मिलने में बुंदेलखंड का भी महत्वपूर्ण योगदान था। लेकिन यहां के लोगों की आकांक्षा पूरी नहीं हुई। चंद क्षेत्रों को विशिष्ट मानने वाली इन दलों की सरकारों ने बुंदेलखंड पर कोई ध्यान नहीं दिया। पानी की समस्या ने बुंदेलखंड को बदहाल कर दिया। कृषि और पशुपालन दोनों में लोगों को नुकसान हुआ। लोग गांव में मवेशियों को छोड़कर पलायन कर गए। निवेश के अनुकूल माहौल नहीं था। डबल इंजन सरकार से पहले यहां की समस्याओं के समाधान कोई कोई स्थाई योजना ही नहीं बनाई गई। तात्कालिक प्रयास अवश्य किए जाते रहे। नरेन्द्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद बुंदेलखंड पर ध्यान दिया। उन्होंने तात्कालिक राहत के साथ दीर्घकालिक कार्ययोजना भी बनाई। किन्तु प्रारं...