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अंग्रेजों की पोषक है कांग्रेस, अपने कर्मों से हो रही समाप्तः डॉ. मोहन यादव

अंग्रेजों की पोषक है कांग्रेस, अपने कर्मों से हो रही समाप्तः डॉ. मोहन यादव

देश, मध्य प्रदेश
- कांग्रेस में जो समझार, वे पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गएः मुख्यमंत्री भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने कहा कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) अंग्रेजों (British.) की पोषक है। वह अपने कर्मों से ही समाप्त हो रही है। कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में जो समझदार व्यक्ति हैं, वे पार्टी छोड़कर भाजपा (B J P) में शामिल हो गए हैं, क्योंकि उन लोगों को पता है कि कांग्रेस पार्टी डूबने वाली है। कांग्रेस अपने कर्मों से समाप्त हो रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को भाजपा के प्रदेश कार्यालय में हुई चुनाव प्रबंधन की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) के गुरू सैम पित्रोदा विरासत टैक्स लगाने की बात करते हैं, मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। उनकी पार्टी के महाराष्ट्र के नेता...
और भी ‘जलियांवाला बाग नरसंहार’ हैं भारत में

और भी ‘जलियांवाला बाग नरसंहार’ हैं भारत में

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- रमेश शर्मा जलियांवाला बाग नरसंहार को 13 अप्रैल को एक सौ चार वर्ष हो जाएंगे । 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने वैशाख उत्सव के लिए एकत्रित भीड़ और सैकड़ों निर्दोष नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था । इसमें तीन सौ से अधिक लोगों का बलिदान हुआ और डेढ़ हजार से अधिक लोग घायल हुए थे । इनमें से भी अनेक लोगों ने बाद में प्राण त्यागे । ये सब संख्या जोड़े तो मरने वालों के आंकड़ा आठ सौ के पार हो जाता है। भारत में सामूहिक नरसंहार का एक लंबा इतिहास है । अंग्रेजों से पहले भी सामूहिक नरसंहार हुए । हर आक्रांता ने नरसंहार किए हैं। भारत पर विदेशी आक्रमण और विदेशी हमलावरों द्वारा लूट और अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए यह खूनी खेल लगभग बारह सौ वर्ष तक चला । शायद ही कोई ऐसा दिन गया हो जब भारत की धरती अपने ही बेटों के रक्त से लाल न हुई हो । सैकड़ों घटनाओं का जिक्र तक नहीं है । जिनका है उनका एक दो पंक्तिय...
क्रांतिकारी तात्या टोपे: अंग्रेजों ने भीड़ के सामने दी फांसी

क्रांतिकारी तात्या टोपे: अंग्रेजों ने भीड़ के सामने दी फांसी

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- प्रहलाद भारती ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देश की आजादी के संघर्ष में वीरता, पराक्रम और रणनीति के लिए विख्यात अखंड भारत के पहले स्वाधीनता समर के महानायक क्रांतिवीर तात्या टोपे का जन्म 1814 को येवला ग्राम में मा रुक्मिणी बाई और पिता पाण्डुरंगराव भट्ट येवलेकर के घर पर हुआ था। तात्या का परिवार 1818 में नाना साहब पेशवा के साथ ही बिठूर आ गया था। अंग्रेजों द्वारा हर कदम पर भारत और भारतीयों के विरुद्ध खेली जा रही चालों के विरुद्ध एक देशव्यापी अभियान संगठित रूप से चलाने में नाना साहब पेशवा के साथ तात्या टोपे का बड़ा योगदान था। यह अभियान 1857 के संग्राम से काफी पहले से आरम्भ होकर तात्या टोपे की मृत्यु तक निर्बाध चलता रहा। 1857 की क्रांति में तात्या टोपे ने छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा शुरू की गई 'गुरिल्ला युद्धशैली (छापामार युद्धशैली)' को अपनाकर आजादी की लड़ाई को अपनी शहादत तक निरन्तर जारी रखा। तात्या...
वीर राम सिंह पठानियाः अंग्रेजों की हड़प नीति के विरुद्ध अद्भुत साहस के प्रतीक

वीर राम सिंह पठानियाः अंग्रेजों की हड़प नीति के विरुद्ध अद्भुत साहस के प्रतीक

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- रमेश शर्मा अंग्रेजों की हड़प नीति के विरुद्ध अद्भुत साहस के प्रतीक वीर राम सिंह पठानिया ने अपने मुट्ठीभर साथियों के बल पर अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला दी थी। किन्तु दुर्भाग्य से देशवासी इस महान राजपूत योद्धा के बारे में नहीं जानते। वीर राम सिंह पठानिया का जन्म 10 अप्रैल 1824 को हुआ था। वीर सिंह के पिता श्याम सिंह नूरपुर रियासत के राजा वीर सिंह के वजीर थे। 1806 में दिल्ली पर अधिकार करने के बाद अंग्रेजों ने उत्तर और मध्यभारत में अपने वर्चस्व का अभियान चलाया। उनका सबसे प्रमुख लक्ष्य पंजाब था। अंततः अंग्रेज सफल हुए और नौ मार्च 1846 में अंग्रेज-सिख संधि हुई। इसके चलते वर्तमान हिमाचल प्रदेश की अधिकांश रियासतें सीधे अंग्रेजों के आधीन हो गईं। नूरपुर के राजा वीर सिंह अपने दस वर्षीय बेटे राज कुमार जसवंत सिंह को नूरपुर की राजगद्दी का उत्तराधिकारी छोड़कर स्वर्ग सिधार गए। अंग्रेजों ने राजकुमार जस...
नेताजी जयंती: छूटे अंग्रेजों के छक्के, आजाद हो गया भारत

नेताजी जयंती: छूटे अंग्रेजों के छक्के, आजाद हो गया भारत

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- सुरेन्द्र किशोरी 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में वकील जानकीनाथ बोस की पत्नी प्रभावती की गोद में नौवीं संतान के रूप में जब बालक की किलकारी गूंजी तो किसी को कहां पता था कि वह एक दिन न केवल मां भारती को स्वतंत्र कराने वाले वीर सपूतों के अग्रणी पंक्ति में शामिल होगा और नेताजी के रूप में मशहूर हो जाएगा। लोगों के खून में जोश भरने के लिए उनका नारा- ' तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा' भारत का राष्ट्रीय नारा बन जाएगा। बचपन में ही बोस ने यह जान लिया था कि जब तक सभी भारतवासी एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे, तब तक हमारे देश को उनकी गुलामी से मुक्ति नहीं मिल सकेगी। उनके मन में अंग्रेजों के प्रति तीव्र घृणा और देशवासियों के प्रति बड़ा प्रेम था। किशोरावस्था में ही सुभाषचंद्र बोस की मनोवृत्ति का झुकाव सांसारिक धन, वैभव, पदवी के बजाय जीवन की वास्तविकता को जानने और अपनी शक्ति तथा सामर...
ऋषि सुनकः अद्वितीय ब्रिटिश महानायक

ऋषि सुनकः अद्वितीय ब्रिटिश महानायक

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए। यह ब्रिटेन की ही नहीं, विश्व की अद्वितीय घटना है। अद्वितीय इसलिए कि जो भारत ब्रिटेन का लगभग दो सदियों तक गुलाम रहा, उसका प्रधानमंत्री एक ऐसा आदमी बन गया, जो इसी भारतीय मूल का है। ब्रिटेन पर अब कोई भारतीय शासन करेगा। आजादी के 75 वें साल में भारत को इससे बढ़िया तोहफा क्या मिल सकता है? दुनिया में श्वेतांग राष्ट्रों के अग्रणी राष्ट्र, ब्रिटेन का यह व्यक्ति पहला अश्वेत प्रधानमंत्री है। इस मामले में सुनक की तुलना हम बाराक ओबामा से कर सकते हैं, जो अमेरिका जैसे सबसे बड़े श्वेतांगों के देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। कोई आश्चर्य नहीं कि अमेरिका का भी अगला राष्ट्रपति कोई भारतीय मूल का व्यक्ति ही बन जाए। उपराष्ट्रपति पद तक कमला हैरिस पहुंच ही चुकी हैं। मैंने लगभग 20 साल पहले अमेरिकी कांग्रेस (संसद) के हाॅल में भाषण देते हुए कहा था कि अग...

अंग्रेजों के वीरभूमि छोडऩे पर हमीरपुर में सेनानियों ने फहराया था तिंरगा

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-अंग्रेजों के भागने के बाद पूरे गांव में जलाए गए थे दीपक हमीरपुर जिले में क्रांतिकारियों का गढ़ माने जाने वाले गांव में अंग्रेजों के भागने के बाद एतिहासिक मंदिर के सामने तिरंगा फहराकर हजारों ग्रामीणों ने जश्न मनाया था। पूरे क्षेत्र में आजादी के जश्न में घर-घर दीये जलाए गए थे। हमीरपुर जिले के मुस्करा थाना क्षेत्र के गहरौली गांव में बांके बिहारी जू मंदिर स्थित है। इसका इतिहास भी सैकड़ों साल पुराना है। मंदिर में पहले अवध बिहारी महंत होते थे जिनके चमत्कार को आज भी गांव के लोग याद करते है। मंदिर के पुजारी राजा भैया दीक्षित ने बताया कि जिले का यही एक मंदिर है जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अतीत को संजोए है। मंदिर की देखरेख करने वाले विमल चन्द्र गुरुदेव ने बताया कि इस मंदिर को सरकारी स्तर पर संवारने के लिए कोई मदद नहीं मिली है लेकिन स्वयं के खर्च से मंदिर को नए आयाम दिए गए है। क्षेत्रीय पुरा...