Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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शौर्य और जनहितकारी शासन की प्रतीक रानी दुर्गावती

शौर्य और जनहितकारी शासन की प्रतीक रानी दुर्गावती

अवर्गीकृत
- हितानंद भारत के इतिहास में मुगलों को चुनौती देने वाले योद्धाओं में महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज का नाम लिया जाता है। लेकिन इस सूची में गोंडवाना की रानी दुर्गावती का भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। रानी दुर्गावती ने आखिरी दम तक मुगल सेना को रोककर उनके राज्य पर कब्जा करने की हसरत को कभी पूरा नहीं होने दिया। शौर्य या वीरता रानी दुर्गावती के व्यक्तित्व का एक पहलू था। वो एक कुशल योद्धा होने के साथ-साथ एक कुशल प्रशासक थीं और उनकी छवि एक ऐसी रानी के रूप में भी थी, जो प्रजा के कष्टों को पूरी गहराई से अनुभव करती थीं। इसीलिए गोंडवाना क्षेत्र में उन्हें उनकी वीरता और अदम्य साहस के अलावा उनके जनकल्याणकारी शासन के लिए भी याद किया जाता है। मुगल शासक अकबर और उसके सिपहसालारों का मानमर्दन करने वाली रानी दुर्गावती का जन्म 24 जून को 1524 को बांदा जिले में कलिंजर के चंदेला राजपूत राजा कीरतसिंह चं...
विद्यार्थियों को दें महाराजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता, दानशीलता व शौर्य की जानकारी: मुख्यमंत्री

विद्यार्थियों को दें महाराजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता, दानशीलता व शौर्य की जानकारी: मुख्यमंत्री

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दिए उज्जैन में भव्य विक्रमोत्सव 2024 की तैयारियों के निर्देश भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने उज्जैन (Ujjain) में आगामी 8 मार्च से 9 अप्रैल (8th March to 9th April) तक आयोजित होने वाले विक्रमोत्सव 2024 (Vikramotsav 2024) के आयोजन की तैयारियों के लिए सोमवार को संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य की न्यायप्रियता, दानशीलता, उनके शौर्य और खगोल शास्त्र के ज्ञान से आमजन, विशेषकर विद्यार्थियों को अवगत करवाया जाए। दरअसल, महाराजा विक्रमोत्सव भव्य स्वरूप से आयोजित होगा। महाशिवरात्रि से वर्ष प्रतिपदा की अवधि में होने वाले विक्रमोत्सव में उज्जैन सहित निकटवर्ती जिलों के नागरिक भी शामिल होंगे। मेले में भारतीय सांस्कृतिक संबद्ध परिषद के सहयोग से भी ज्ञान और मनोरंजन के उद्देश्य से अनेक गत...
शौर्य का पर्याय भारतीय वायुसेना

शौर्य का पर्याय भारतीय वायुसेना

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा भारतीय वायुसेना के शौर्य पर हम भारतीय नागरिक जितना चाहें गर्व कर सकते हैं। देश आठ अक्टूबर को वायुसेना स्थापना दिवस के रूप में मनाता है। इसकी स्थापना 1932 में आठ अक्टूबर को हुई थी। तब तो अंग्रेजी हुकूमत के दिनों में इसे रायल इंडियन एयरफोर्स कहा जाता था। भारतीय वायुसेना को उसके कार्यों और देश की मजबूत सुरक्षा में योगदान के लिए हमेशा याद रखा ही जाना चाहिए। भारतीय वायुसेना की शक्ति सारे देश और देशवासियों को आश्वस्त करती रहती है। जब भी दुश्मन ने भारत पर हमला किया तो वायुसेना ने सेना के बाकी अंगों के साथ मिलकर शत्रु की गर्दन में ऐसा अंगूठा डाला है जिससे उसकी जान निकल गई है । भारतीय वायुसेना के गौरवमयी इतिहास से सारा देश परिचित है। अगर बात 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से शुरू करें तो फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की याद आना स्वाभाविक है। वे उस वक्त राजधानी के रेस कोर्स स्थि...
युवा पीढ़ी तक पहुंचे महाराणा प्रताप व वीर योद्धाओं के शौर्य की जानकारी: मुख्यमंत्री

युवा पीढ़ी तक पहुंचे महाराणा प्रताप व वीर योद्धाओं के शौर्य की जानकारी: मुख्यमंत्री

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि शौर्य और साहस (bravery and courage) के प्रतीक महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) और अन्य योद्धाओं का जीवन प्रेरक (inspirational life of other warriors) था। इनके योगदान की जानकारी युवा पीढ़ी तक पहुँचना चाहिए। मुख्यमंत्री चौहान बुधवार देर शाम अपने निवास कार्यालय समत्व भवन में आगामी 22 मई को भोपाल के लाल परेड मैदान पर होने वाले महाराणा प्रताप जयंती समारोह की तैयारी की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने तैयारियों की जानकारी प्राप्त कर आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया, संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और विधायक रामपाल सिंह उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे महाराणा प्रताप हों या रानी पदमावती, इनके शौर्य से जन-जन को अवगत करवाने के लिए संस्कृति विभाग द्वारा विशेष कार्यक्रम किये जाए। वीरत...

कारगिल विजय दिवस: झुंझुनू के लाल, बहादुरी में बेमिसाल

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- रमेश सर्राफ धमोरा देश रक्षा के लिये सेना में शहादत देना राजस्थान की परम्परा रही है। झुंझुनू जिले के गांवों में लोक देवताओं की तरह पूजे जाने वाले शहीदों के स्मारक इस परम्परा के प्रतीक हैं। इस जिले के वीरों ने बहादुरी का जो इतिहास रचा है उसी का परिणाम है कि भारतीय सैन्य बल में उच्च पदों पर सम्पूर्ण राजस्थान की ओर से झुंझुनू जिले का ही वर्चस्व रहा है। झुंझुनू जिले में प्रारम्भ से ही सेना में भर्ती होने की परम्परा रही है तथा यहां के गांवों में घर-घर में सैनिक होता था। सेना के प्रति यहां के लगाव के कारण अंग्रेजों ने यहां एक सैनिक छावनी की स्थापना कर ‘शेखावाटी ब्रिगेड ‘का गठन किया था। जिले के वीर जवानों को उनके शौर्य के लिये समय-समय पर अलंकरणों से नवाजा जाता रहा है। अब तक इस जिले के कुल 120 से अधिक सैनिकों को वीरता पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। यह पूरे देश में किसी एक जिले में सर्वाधिक संख्या...