परीक्षा में नकल रोकने की साहसिक पहल
- डा. रमेश शर्मा
अलग-अलग कोर्स में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा हो या नौकरी के लिए प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया हो या फिर स्कूल और कॉलेज की नियमित रूप में होने वाली परीक्षा हो। नकल, धोखाधड़ी और गुंडागर्दी एक रूटीन का मामला बन गया है। अनेक तरह कोशिश के बाद भी इस अपराध पर अंकुश लगाना संभव नहीं हो पाया। नकल रोकने के प्रयास हिंसा या प्रतिशोध के कारण विफल रहे हैं । दबाव के आगे समर्थ भी खामोश रहते देखे जाते रहे हैं। परिस्थिति के दौरान गलत को सही और सही को गलत समझने का भ्रम अनुभव होता है। परीक्षा माफिया पर अब लगाम लगनी तय है।
संसद द्वारा इस संबंध में कानून बनाया जाना सचमुच सही दिशा में एक भगीरथी प्रयास है। अचानक सब ठीक हो जाएगा ऐसा मानना थोड़ी जल्दबाजी होगी क्योंकि नासूर की जड़ बहुत ही गहरी है। लेकिन यह इस दिशा में एक मील का पत्थर और एक साहसिक एवं स्वागतयोग्य कदम है जो धीरे-ध...