Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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पक्षियों का वास, बचाने की आस

पक्षियों का वास, बचाने की आस

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- बिवाश रंजन भारत पक्षियों के लिहाज से एक अनूठी विविधता वाला का देश है। यहां के विविध भौगोलिक इलाकों में पक्षियों की बहुरंगी प्रजातियां निवास करती हैं। उत्तर में बर्फ से ढके हिमालय से लेकर दक्षिण में पश्चिमी घाट के मनमोहक जंगलों तक, और पश्चिम में राजस्थान के शुष्क रेगिस्तानों से लेकर उत्तर-पूर्व की हरी-भरी आर्द्रभूमि तक। भारत का पक्षी जगत इसके भूगोल की तरह ही विविधताओं से भरा है। स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स (एसओआईबी) 2023 की रिपोर्ट से पता चलता है कि यह देश पक्षियों की 1,300 से अधिक प्रजातियों का निवास-स्थान है और पक्षियों की वैश्विक विविधता के लगभग 12.40 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। पक्षियों की इन 1,353 प्रजातियों में से 78 प्रजातियां (5 प्रतिशत) इस देश में स्थानिक हैं। हालांकि, इस जीवंत झुंड का भविष्य तेजी से अंधकारमय हो रहा है, क्योंकि इनके निवास स्थान के विनाश, प्रदूषण और जलवाय...
विश्व गौरैया दिवस विशेष: गौरैया हमारी सबसे अच्छी दोस्त

विश्व गौरैया दिवस विशेष: गौरैया हमारी सबसे अच्छी दोस्त

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- प्रभुनाथ शुक्ल हमारी सोच अब आहिस्ता-आहिस्ता बदलने लगी है। हम प्रकृति और जीव जंतुओं के प्रति थोड़ा मित्रवत भाव रखने लगे हैं। घर की टैरिश पर पक्षियों के लिए दाना-पानी डालने लगे हैं। गौरैया से हम फ्रेंडली हो चले हैं। किचन गार्डन और घर की बालकनी में कृतिम घोंसला लगाने लगे। गौरैया धीरे हमारे आसपास आने लगी है। उसकी चीं-चीं की आवाज हमारे घर आंगन में सुनाई पड़ने लगी है। गौरैया संरक्षण को लेकर ग्लोबल स्तर पर बदलाव आया है यह सुखद है। फिर भी अभी यह नाकाफी है। हमें प्रकृति से संतुलन बनाना चाहिए। हम प्रकृति और पशु -पक्षियों के साथ मिलकर एक सुंदर प्राकृतिक वातावरण तैयार कर सकते हैं। जिन पशु-पक्षियों को हम अनुपयोगी समझते हैं, वह हमारे लिए प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करने में अच्छी खासी भूमिका निभाते हैं, लेकिन हमें इसका ज्ञान नहीं होता। गौरैया हमारी प्राकृतिक मित्र है और पर्यावरण में सहायक है। गौरै...
सोन चिरैया को लग गई ‘नजर’

सोन चिरैया को लग गई ‘नजर’

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- मुकुंद पूर्वी उत्तर प्रदेश में आमतौर पर दादी-नानी प्यार से अपने नाती-नातिन को सोन चिरैया कह कर बुलाती हैं। हो सकता है कुछ दिन बाद ऐसा न हो, क्योंकि यह खूबसूरत यह चिड़िया विलुप्त होने की कगार पर है। इस बारे में 11 साल पहले इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने चेताया भी था। इस संगठन ने पक्षियों की अपनी ‘रेड लिस्ट’ में साफ किया था कि लुप्त होने वाले पक्षियों की तादाद अब 1,253 हो गई है। इसका मतलब था कि पक्षियों की सभी प्रजातियों में से 13 प्रतिशत के लुप्त हो जाने का खतरा है। इस ‘रेड लिस्ट’ में विश्व की पक्षियों की प्रजातियों की बदलती संभावनाओं और स्थिति का आकलन किया गया था। ‘रेड लिस्ट’ में संरक्षणकर्ताओं ने चेतावनी दी थी कि दुनिया के सबसे वजनदार पक्षियों में से एक सोन चिरैया की प्रजाति लुप्त होने की कगार पर है। अफसोस हम न तब चेते और न अब चेत रहे हैं। यह स्थिति तब है जब भारत का सुप्रीम क...