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जैव विविधता पर संकट के बादल

जैव विविधता पर संकट के बादल

अवर्गीकृत
- योगेश कुमार गोयल जीव-जंतु तथा पेड़-पौधे भी मनुष्यों की ही भांति ही धरती के अभिन्न अंग हैं लेकिन मनुष्य ने अपने निहित स्वार्थों तथा विकास के नाम पर न केवल वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों को बेदर्दी से उजाड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है बल्कि वनस्पतियों का भी तेजी से सफाया किया है। धरती पर अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए मनुष्य को प्रकृति प्रदत्त उन सभी चीजों का आपसी संतुलन बनाए रखने की जरूरत होती है, जो उसे प्राकृतिक रूप से मिलती हैं। इसी को पारिस्थितिकी तंत्र या इको सिस्टम भी कहा जाता है लेकिन चिंतनीय स्थिति यह है कि धरती पर अब वन्य जीवों तथा दुर्लभ वनस्पतियों की अनेक प्रजातियों का जीवनचक्र संकट में है। वन्यजीवों की असंख्य प्रजातियां या तो लुप्त हो चुकी हैं या लुप्त होने के कगार पर हैं। पर्यावरणीय संकट के चलते जहां दुनियाभर में जीवों की अनेक प्रजातियों के लुप्त होने से वन्य जीवों की विव...
क्यों कोई जैव विविधता को बचाए?

क्यों कोई जैव विविधता को बचाए?

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- डॉ. सुशील द्विवेदी हमारे पृथ्वी ग्रह पर जीवन संतुलन को बनाए रखने के लिए बायोडायवर्सिटी अर्थात जैव विविधता बहुत आवश्यक है। यह पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की आधारशिला है। दुनिया भर में रहने वाले लगभग आठ अरब लोग लगातार धरती की धरोहर का उपभोग कर रहे हैं। जब हम बायोडाइवर्सिटी की बात करते हैं तब हमारा इशारा, धरती पर मौजूद तमाम जीवों और जैवप्रणालियों की जीवविज्ञानी (बायोलॉजिकल) और आनुवंशिक (जेनेटिक) विविधता से होता है। जैव विविधता के अन्तर्गत जीवित जीवधारियों पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों के अलावा फफूंद और मिट्टी में मिलने वाले सूक्ष्मजीवी बैक्टीरिया भी शामिल हैं। वे पूरी दुनिया की उन तमाम व्यापक इको प्रणालियों का हिस्सा हैं जो बर्फीले अंटार्कटिक, ट्रॉपिकल वर्षावनों, सहारा रेगिस्तान, मैंग्रोव वेटलैंड, मध्य यूरोप के पुराने बीच वनों और समुद्री और तटीय इलाकों की विविधता से भरा है। ये बायोडायवर्सिटी ज...