अब बांग्लादेश से कौन करेगा द्विपक्षीय व्यापार
- योगेश कुमार सोनी
बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका बड़ा खामियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर हुए इस आंदोलन की परिणति शेख हसीना की निर्वाचित सरकार के पतन के रूप में हुई है। यही नहीं शेख हसीना को जान बचाकर बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा। इस सारे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि को समझने के लिए कुछ पीछे लौटना होगा। बांग्लादेश को 1971 में स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में चिह्नत किया गया। 1972 में उसे बतौर देश मान्यता मिली। 1972 में तत्कालीन सरकार ने मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और उनके वंशजों को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया, लेकिन इसका लगातार विरोध हुआ। वर्ष 2018 में सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया।
इस साल जून में हाई कोर्ट के फैसले ने इस आरक्षण प्रणाली को खत्म करने के फैसले को गैरकान...