Friday, November 22"खबर जो असर करे"

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इंडिया’ की आंखों से भारत को मत देखिए!

इंडिया’ की आंखों से भारत को मत देखिए!

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- प्रो. संजय द्विवेदी आजकल राष्ट्रीयता, भारतीयता, राष्ट्रत्व और राष्ट्रवाद जैसे शब्द चर्चा और बहस के केंद्र में है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम भारतीयता पर एक नई दृष्टि से सोचें और जानें कि आखिर यह क्या है? 'राष्ट्र' सामान्य तौर पर सिर्फ भौगोलिक नहीं बल्कि 'भूगोल-संस्कृति-लोग' के तीन तत्वों से बनने वाली इकाई है। इन तीन तत्वों से बने राष्ट्र में आखिर सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है? जाहिर तौर पर वह 'लोग' ही होगें। इसलिए लोगों की बेहतरी,भलाई, मानवता का स्पंदन ही किसी राष्ट्रीयता का सबसे प्रमुख तत्व होना चाहिए। जब हम लोगों की बात करते हैं तो भौगोलिक इकाईयां टूटती हैं। अध्यात्म के नजरिए से पूरी दुनिया के मनुष्य एक हैं। सभी संत, आध्यात्मिक नेता और मनोवैज्ञानिक भी यह मानने हैं कि पूरी दुनिया पर मनुष्यता एक खास भावबोध से बंधी हुयी है। यही वैश्विक अचेतन (कलेक्टिव अनकांशेसनेस) हम-सबके एक होने का...
‘भारत’ को ‘इंडिया’ से मुक्ति मिले, क्या दिक्कत?

‘भारत’ को ‘इंडिया’ से मुक्ति मिले, क्या दिक्कत?

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- डॉ. रमेश ठाकुर 'भारत' शब्द वैसे हमारी संस्कृति, देशी रीति-रिवाजों और पुरानी परंपराओं की आत्मा है, तभी उसे भारत माता कह कर पुकारते आए हैं। गुजरा वक्त इसी शब्द से गुलजार रहा था। लेकिन जब अंग्रेजों की घुसपैठ हुई, तो उन्होंने अपने मुआफिक नया नाम 'इंडिया' गढ़ दिया जिसे भारतीयों को ना चाहते हुए भी अपनाना पड़ा। 200 सालों तक देश उनका बंधक रहा, इस बीच ये नाम भी प्रचलित होता गया। आजादी से लेकर आज तक यानी 275 वर्षों से भारत के जगह इंडिया शब्द ही बोला और लिखा जाता रहा। समूचा संसार भी इंडिया से ही जानता-पहचानता और पुकारता है। ये सच्चाई वैसे हम सभी जानते हैं कि भारत का अंग्रेजी नाम इंडिया अंग्रेजों की देन है। क्योंकि इंडिया की उत्पत्ति इंडस यानी सिंधु शब्द से है जो यूनानियों द्वारा चौथी सदी ईसा पूर्व से प्रचलन में रही। इंडिया नाम पुरानी अंग्रेजी में 9वीं सदी में और आधुनिक अंग्रेजी में 17वीं सदी से मिलत...
भारत नाम में है संस्कृति की झलक

भारत नाम में है संस्कृति की झलक

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- सुरेश हिन्दुस्थानी वर्तमान में भारत और इंडिया नाम की चर्चा राजनीतिक क्षेत्र में भी सुनाई देने लगी है। हम यह भली भांति जानते हैं कि भारत को पुरातन काल से कई नामों से संबोधित किया गया। जिसमें जम्बूद्वीप, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंदुस्तान और इंडिया के नाम का उल्लेख मिलता है। लेकिन यह भी एक बड़ा सच है कि इंडिया शब्द गुलामी की याद दिलाता है, क्योंकि यह शब्द अंग्रेजों ने दिया। अंग्रेजों ने भारत की सांस्कृतिक विरासत को मिटाने का भरसक प्रयास किया। सांस्कृतिक रूप से एकता का भाव स्थापित करने वाले समाज के बीच दरार डालने की राजनीति की गई। जिससे देश भी कमजोर होता चला गया और समाज कई वर्गों में विभाजित हो गया। आज भी सामाजिक भेदभाव की इस खाई को और चौड़ा करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है, जिससे भारतीय समाज को सावधान होने की आवश्यकता है, नहीं तो वही अंग्रेजों की इंडिया वाली मानसिकता विकराल रूप धारण कर हमा...