Friday, November 22"खबर जो असर करे"

Tag: Bhagat Singh

भगत सिंह पर नयी सुनवाई, लाहौर हाई कोर्ट की नाइंसाफी!

भगत सिंह पर नयी सुनवाई, लाहौर हाई कोर्ट की नाइंसाफी!

अवर्गीकृत
- के. विक्रम राव एकबार फिर पुष्टि हो गई कि ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की अवैध औलाद है पाकिस्तान। उसके संस्थापक मियां मोहम्मद अली जिन्ना तो गोरे शासकों की कठपुतली रहे। मकसद स्पष्ट था- अखंड भारत को विभाजित कर उसे कमजोर करना। वर्ना लाहौर हाई कोर्ट (16 सितंबर 2023) शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह को फांसी (23 मार्च 1931) वाले मुकदमे की ईमानदार सुनवाई, नए सबूतों के आधार पर पुनः शुरू कर सकती थी। कारण, भगत सिंह को हत्या के मनगढ़ंत जुर्म में सजा दी गई थी। सरदार भगत सिंह को लाहौर (अविभाजित पंजाब) जेल में रखा गया था। वहीं, अंधेरे में फांसी भी दी गई। पहले उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। फिर फांसी। साथ में राजगुरु और सुखदेव को भी शहीद कर दिया। भगत सिंह पर ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में मुकदमा थोपा गया था। याचिका में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता वकील इम्तियाज राशिद ...
शहीद दिवसः भूल न जाना भगत सिंह के साथियों को

शहीद दिवसः भूल न जाना भगत सिंह के साथियों को

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा कौन सा हिन्दुस्तानी होगा जिसके मन में शहीद भगत सिंह को लेकर गहरी श्रद्धा का भाव नहीं होगा। होगा भी क्यों नहीं। आखिर वे क्रांतिकारी, चिंतक और आदर्शों से लबरेज मनुष्य थे। उनसे अब भी भारत के करोड़ों नौजवान प्रेरणा पाते हैं। पर यह भी जरूरी है कि देश भगत सिंह के करीबी साथियों जैसे चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, बटुकेशवर दत्त, दुर्गा भाभी वगैरह के बलिदान को भी याद रखा जाए। राजगुरु का संबंध पुणे (महाराष्ट्र) से था। उन्हें भगत सिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च, 1931 को लाहौर में फांसी पर लटका दिया गया था। वे भगत सिंह और सुखदेव के घनिष्ठ मित्र थे। इस मित्रता को राजगुरु ने मृत्यु पर्यंत निभाया। देश की आजादी के लिए दिये गये राजगुरु के बलिदान ने इनका नाम भारत इतिहास में अंकित करवा दिया। अगर बात वीर स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव की हो तो वो भी महाराष्ट्र से थे । राजगुरु के पिता का निधन इनके...
पंजाब के सांसद मान के हैरान करते बयान!

पंजाब के सांसद मान के हैरान करते बयान!

अवर्गीकृत
- ऋतुपर्ण दवे अगर हम अपने आदर्शों को आतंकवादी कहेंगे तो फिर राष्ट्रवादी कौन होगा। यह सवाल इन दिनों देश में बड़ी गंभीरता से लोगों को परेशान और हतप्रभ कर रहा है। माना कि ऐसे सवालों की जद में राजनीति होती है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के लिए प्राणों की आहुति देने वालों उसमें भी खासकर देशभक्ति की अनूठी मिशाल पेश करने वालों पर स्वतंत्रता या इससे जुड़े आंदोलनों या कोशिशों के इतने लंबे अरसे बाद केवल सियासत चमकाने के लिए सवाल उठाना न केवल हैरान और परेशान करता है बल्कि भावनाओं को आहत भी करता है। लगता नहीं कि ऐसे सवालों को अब और खासकर तब जब देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी में पूरे उत्साह जोश और जोर-शोर से जुटा है उठाना किसी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकता है। पंजाब की संगरूर सीट से नए नवेले सांसद सिमरनजीत सिंह मान का भगत सिंह के बलिदान पर सवाल उठाना एक तो बकवास और दूसर...