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इजरायल में सत्ता परिवर्तन, भारत के लिये मायने

इजरायल में सत्ता परिवर्तन, भारत के लिये मायने

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा भारत के मित्र बेंजामिन नेतन्याहू के इजराइल के आम चुनाव में जीत से भारत का प्रसन्न होना स्वाभाविक है। भारत-इजराइल संबंधों को नयी बुलंदियों पर लेकर जाने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू ने अबतक कई शानदार इबारतें लिखी है। दोनों नेताओं के बीच निजी मधुर संबंध स्थापित हो गये हैं जो अबतक कायम हैं। इसका लाभ यह हुआ कि दोनों देश तमाम क्षेत्रों में आपसी सहयोग करने लगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल के आम चुनाव में अपने मित्र की विजय पर उन्हें बधाई देते हुए ट्वीट किया, "चुनाव में जीत पर मेरे प्रिय मित्र नेतन्याहू को बधाई। मैं भारत-इजरायल रणनीतिक साझेदारी को और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए हमारे संयुक्त प्रयासों को जारी रखने के लिए उत्सुक हूं।" यह मानना होगा कि वैसे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इजरायल के निवर्तमान प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ भी मधुर संबंध थे। द...
इजरायल में नेतन्याहू का पुनरोदय

इजरायल में नेतन्याहू का पुनरोदय

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- डा. वेदप्रताप वैदिक इजरायल में इन दिनों जितनी फुर्ती से सरकारें बनती और बिगड़ती हैं, दुनिया के किसी अन्य लोकतंत्र में ऐसे दृश्य देखने को नहीं मिलते। बेंजामिन नेतन्याहू लगभग डेढ़ साल बाद फिर दोबारा प्रधानमंत्री बन गए। उनका यह पुनरोदय असाधारण हैं। वे इजरायल के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जो वहीं पैदा हुए हैं। उनसे पहले जो भी प्रधानमंत्री बने हैं, वे बाहर के किन्हीं देशों से आए हुए थे। जब 1948 में इजरायल का जन्म हुआ था, तब जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका आदि कई देशों के गोरे यहूदी लोग वहां आकर बस गए थे। उन्हीं में से एक का बेटा जो 1949 में जन्मा था, अब इजरायल का ऐसा प्रधानमंत्री है, जिससे ज्यादा लंबे काल तक कोई भी प्रधानमंत्री नहीं रहा। 47 साल की उम्र में इजरायल के प्रधानमंत्री बनने वाले वे सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। वे कई बार हारे और जीते। उन्हें दक्षिणपंथी माना जाता है। वे फौज के सिपाह...
इजरायल में भारत के मित्र की वापसी

इजरायल में भारत के मित्र की वापसी

अवर्गीकृत
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री इजरायल की भौगोलिक स्थिति संवेदनशील है। राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर नेतृत्व से उसकी परेशानी बढ़ती है। इस तथ्य को वहां के लोगों ने समझा है। इसके चलते राजनीतिक संक्रमण काल का समापन हुआ। बेंजामिन नेतान्याहू की एक बार फिर सत्ता में वापसी हुई। पहले भी वह प्रधानमंत्री के रूप में इजरायल को मजबूत नेतृत्व प्रदान कर चुके हैं। फिलिस्तीन आतंकी संगठन हमास के हिंसक मंसूबों को वह नाकाम करते रहे है। इजरायल की एकता, अखंडता और सम्मान को बनाये रखने की उनमें दृढ़ इच्छाशक्ति रही है। फिर भी इसे इजरायल का आंतरिक मसला कहा जा सकता है। लेकिन नेतान्याहू का पुनः प्रधानमंत्री बनना भारत के भी हित में है। उन्होंने भारत की भौगोलिक स्थिति को समझा है। उसके अनुरूप विदेश नीति निर्धारित करने का साहस दिखाया है। पाकिस्तान और चीन भारत के पड़ोसी हैं। इनकी फितरत जगजाहिर है।पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को संर...