Friday, September 20"खबर जो असर करे"

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राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार बनेगा श्रीराम मंदिर

राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार बनेगा श्रीराम मंदिर

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- प्रो. संजय द्विवेदी आज पूरी दुनिया उत्सुकता के साथ 22 जनवरी के ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रही है। दुनिया में कोई भी देश हो, अगर उसे विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचना है, तो उसे अपनी विरासत को संभालना ही होगा। हमारी विरासत, हमें प्रेरणा देती है, हमें सही मार्ग दिखाती है। इसलिए आज का भारत, पुरातन और नूतन दोनों को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ रहा है। एक समय था जब अयोध्या में रामलला टेंट में विराजमान थे, लेकिन आज राम मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा है। श्रीराम मंदिर का निर्माण एक अनथक संघर्ष का प्रतीक है। अयोध्या यानी वह भूमि जहां कभी युद्ध न हुआ हो। ऐसी भूमि पर कलयुग में एक लंबी लड़ाई चली और त्रेतायुग में पैदा हुए रघुकुल गौरव भगवान श्रीराम को आखिरकार छत नसीब होने वाली है। राजनीति कैसे साधारण विषयों को भी उलझाकर मुद्दे में तब्दील कर देती है, रामजन्मभूमि का विवाद इसका उदाहरण है। आजादी मिलने के समय सोम...
व्यवस्थित जीवन का आधार है योग

व्यवस्थित जीवन का आधार है योग

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- डॉ. वंदना सेन सनातन काल से यह सर्वसिद्ध है कि व्यवस्थित योग क्रिया के माध्यम से शरीर को पुष्ट किया जा सकता है। निरोग रखा जा सकता है। योग जीवन के सर्वांगीण विकास का एक ऐसा माध्यम है, जो व्यक्ति के लिए सहज है। वास्तव में योग व्यवस्थित जीवन का आधार है। योग के कारण ही व्यक्ति की तमाम प्रकार की व्याधियां दूर होती हैं। मानसिक तनाव को भी कम करता है। आजकल की भागदौड़ भरी दिनचर्या के चलते अधिकतर व्यक्ति मानसिक अवसाद की अवस्था की ओर जा रहे हैं, यही अवसाद व्यक्ति के जीवन के सार्वभौमिक विकास की राह में अवरोध बनते हैं। इस सबको दूर करने के योग ही एक माध्यम है। योग व्यक्ति की एकाग्रचित्तता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति किसी कार्य को अच्छी प्रकार से संपादित करता है। योग ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। इसलिए योग से जुड़ना व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत जरूरी है, योग को आज से ही अपने जीवन का अपरिहार्य...
सृष्टि का आधार है परिवार, इसे बिखरने न दें

सृष्टि का आधार है परिवार, इसे बिखरने न दें

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- सियाराम पांडेय 'शांत' पूरी दुनिया 15 मई को विश्व परिवार दिवस मनाएगी। संयुक्त राष्ट्र संघ की पहल पर यह सहमति बनी थी कि साल में एक दिन विश्व परिवार दिवस मनाया जाए। वर्ष 1994 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया गया था। तब से अब तक यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। हालांकि विश्व परिवार दिवस मनाने का प्रस्ताव तो संयुक्त राष्ट्र संघ में 1989 में ही पारित हो गया था लेकिन इसे व्यावहारिक धरातल पर उतरने में पांच साल लग गए। खैर, देर आयद-दुरुस्त आयद। परिवार को जोड़े रखने का, उससे जुड़े रहने की पहल का ही नतीजा है कि दुनिया भर में हर साल अलग-अलग थीम पर विश्व परिवार दिवस मनाया जाता है। लेकिन, इस तरह के नवोन्मेष की जरूरत क्यों पड़ी, यह अपने आप में विचार का विषय है। भारत तो सदियों से पूरी धरती को अपना परिवार मानता रहा है। उसने वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र यूं ही नहीं दिया था। कोलंबस और वास्को डिगामा की खो...