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कलम की मजबूत धार, स्वस्थ लोकतंत्र का आधार

कलम की मजबूत धार, स्वस्थ लोकतंत्र का आधार

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- योगेश कुमार गोयल हर साल 03 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ मनाया जाता है। प्रेस को सदैव लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की संज्ञा दी जाती रही है, क्योंकि लोकतंत्र की मजबूती में इसकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यही कारण है कि स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को बहुत अहम माना गया है। विडंबना यह है कि विगत कुछ वर्षों से प्रेस स्वतंत्रता के मामले में लगातार कमी देखी जा रही है। कलम की धार को तलवार से भी ज्यादा ताकतवर और प्रभावी इसलिए माना गया है क्योंकि इसी की सजगता के कारण न केवल भारत में बल्कि अनेक देशों में पिछले कुछ दशकों के भीतर बड़े-बड़े घोटालों का पर्दाफाश हो सका। इसके चलते तमाम उद्योगपतियों, नेताओं तथा विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों को एक ही झटके में अर्श से फर्श पर आना पड़ा। यही कारण हैं कि समय-समय पर कलम रूपी इस हथियार को भोथरा करने के कुचक्र होते रहे हैं औ...
मानगढ़ बलिदान: आध्यात्मिक चेतना और आंदोलन का आधार

मानगढ़ बलिदान: आध्यात्मिक चेतना और आंदोलन का आधार

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- कौशल मूंदड़ा हम जब भी भारतीय सनातन संस्कृति के बड़े आंदोलनों या बदलावों पर नजर डालते हैं तो उनके मूल में एक ही बात परिलक्षित होती है, वह है हमारी आध्यात्मिक चेतना। सनातन संस्कृति की संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह एक ऐसा तत्व है जो कभी निश्चेत नहीं हुआ। जब भी हमें कहीं से भी आध्यात्मिक अनुभव का प्रभाव प्राप्त होने लगता है, हमारा मन-मस्तिष्क उसकी ओर आकर्षित स्वतः होने लगता है। संभवतः यही कारण है कि बड़े आंदोलन हों या बड़े बदलाव, उनका आधार आध्यात्मिक चेतना रहा। चाहे हम महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन को ही लें तो उनके आंदोलन में ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड़ पराई जाने रे..’ भजन प्रमुख रूप से होता था और उसमें शामिल हर जन उसकी अनुभूति में जरूर शांति का अनुभव करता होगा और जब मन शांत होता है तो मानव स्वभाव के अनुसार वह सही-गलत का निर्णय करने में अशांत मन से ज्यादा सक्षम होता है। इसी अवधारणा को...