प्रकाशोत्सव: गुरुनानक देव की वाणी में बाबरगाथा
- रावेल पुष्प
सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव का काफी समय न सिर्फ देश के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण करने में बीता बल्कि देश से बाहर भी उन्होंने यात्राएं कीं और लोगों के जीवन में रंग भरने की कोशिश की। गुरुनानक देव जी ने अधिकतर जगहों पर रुक- रुक कर अपनी यात्राएं कीं। उनकी की गई यात्राओं को आमतौर पर चार हिस्सों में बांटा जाता है जिन्हें "उदासियां" कहा गया है। गुरुनानक देव जी 1497 से 1522 तक अपनी यात्राओं से जब वापस लौट चुके थे उसके कुछ समय बाद ही उज्बेकिस्तान में जन्मे जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर ने काबुल और कंधार को जीतने के बाद भारत पर आक्रमण किया। वैसे तो बाबर ने भारत पर कुल जमा पांच बार आक्रमण किया और आखिर पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली की गद्दी पर तख्तनशीन हुआ और मुगल साम्राज्य की स्थापना की।
अपने हमलों के दौरान मुगल सिपाहियों ने ऐमनाबाद को बुरी तरह लूटा और लोगों पर न सि...