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समाजिक समरसता और सद्भाव का उत्सव है होली

समाजिक समरसता और सद्भाव का उत्सव है होली

अवर्गीकृत
- सुरेन्द्र किशोरी होली एक ऐसा उत्सव है जिसका नाम सुनते ही क्या बूढ़े, क्या बच्चे, क्या पुरुष क्या महिला, सबके मन में उमंग हिलोरे मारने लगती है। वसंत ऋतु के इस महत्वपूर्ण उत्सव में हर कोई एक दूसरे को रंग देना चाहता है। यह रंग सिर्फ बाहरी रंग नहीं, बल्कि मन के अंदर का भी रंग होता है। होली एक ऐसा उत्सव है जो बुराइयों को भस्म कर हंसी-खुशी का वातावरण बनाने का संदेश देता है। इसमें अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, छोटे-बड़े जैसी सारी दूरियां सिमट जाती हैं, समरसता और सद्भाव का सुन्दर वातावरण विनिर्मित होता है। यह मनोविनोद के सहारे मनोमालिन्य मिटाने का उत्सव है। यह आपस के मनमुटाव को भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलने का पर्व और उत्सव है। होली शुचिता, स्वच्छता, समता, ममता, एकता का पर्व है। समय की मांग है कि आज प्रत्येक व्यक्ति होली का दर्शन समझे, कम से कम स्वयं गंदगी नहीं करने और गंदगी नहीं होने देने का संकल्प अपने...