मध्य प्रदेश में नहीं दिखा चुनावी माहौल
- ऋतुपर्ण दवे
पहले नवरात्रि फिर दशहरा अब धनतेरस, दिवाली, गोवर्धनपूजा, भाई दूज और तुरंत बाद थमता प्रचार। मध्यप्रदेश में इस बार लगभग आधी से ज्यादा सीटों पर विधानसभा चुनाव जैसा कुछ लगा नहीं। बीच में खामोशी को चीरते एकाध प्रचार वाहन में लगे लाउडस्पीकर से प्रत्याशी के समर्थन में रिकॉर्डेड गीत व अपील क्या पता कितना असर डाल पाए? इस बार वाकई में विधानसभा चुनाव बिल्कुल कोलाहल विहीन रहा। नामांकन भरने से लेकर नाम वापसी तक जरूर थोड़ी सक्रियता दिखी लेकिन बाद में यह सक्रियता सिवाय बड़े नगरों के गांव-गांव, डगर-डगर नहीं दिखी। इसका मतलब यह नहीं कि मतदाता खामोश है। हवा का रुख भांपने वाले राजनीतिक पण्डित भी इस बार अलग ही दिखे। बावजूद इसके न तो भाजपा और न ही कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं कि सत्ता के सिंहासन में वह पीछे है। कौन जीतेगा, कौन हारेगा इसे लेकर प्रत्याशी चयन का सर्वे कहां हुआ किसने किया, किससे ...