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हिन्दी पट्टी में भाजपा की जीत के मायने

हिन्दी पट्टी में भाजपा की जीत के मायने

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- ऋतुपर्ण दवे निश्चित रूप से विधानसभा चुनाव के नतीजों से अगर सबसे ज्यादा किसी में उत्साह होगा तो वह है भाजपा। उसमें भी मध्य प्रदेश के नतीजों ने तो जैसे भाजपा के उत्साह में सुनामी ला दी। बहरहाल यह मोदी मैजिक ही है जिसने हिन्दी पट्टी वाले राज्यों में विपक्ष या कहें कि नवगठित इंडिया गठबंधन के सपने धराशायी कर दिए। माना कि मध्य प्रदेश में लाड़ली बहना योजना ने कमल के लिए कमाल का काम किया, लेकिन छत्तीसगढ़ में आखिर ऐसा क्या हुआ जो गाय, गोबर, गोठान, महतारी योजना, आत्मानन्द स्कूलों के बाद भी नतीजे एकदम उम्मीद से इतर आए? जबकि राजस्थान में जादूगर अशोक गहलोत का चलते दिख रहे जादू पर भाजपा का जादू भारी पड़ गया। तेलंगाना में जरूर कांग्रेस को झोली में उम्मीद से ज्यादा हासिल मिला। शायद भारत की यही विविधता है। विश्लेषण के लिहाज से इन नतीजों के मायने काफी गहरे हैं। इन्हें 2024 के आम चुनाव से जोड़ा जाएगा...
अब ‘उन्हें’ शर्म आती है ईवीएम पर सवाल उठाने में

अब ‘उन्हें’ शर्म आती है ईवीएम पर सवाल उठाने में

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- सुरेश हिन्दुस्थानी दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को सत्ता मिल गई। इससे निश्चित ही कांग्रेस को डूबते को तिनके का सहारा मिल गया है। हालांकि कर्नाटक में सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए चार दिन तक चले सत्ता के संग्राम में बाजी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के हाथ लगी है। राजनीतिक दृष्टि से अध्ययन किया जाए तो यही कहा जाएगा कि कर्नाटक में कांग्रेस की विजय अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि यह कर्नाटक का लंबे समय से राजनीतिक इतिहास रहा है कि वहां कोई भी सरकार पुन: पदासीन नहीं हुई है, इसलिए कांग्रेस की इस जीत को परंपरावादी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं कही जाएगी। इसके बाद भी पूरे देश में सिमटती जा रही कांग्रेस के नेताओं में उत्साह का संचार पैदा हुआ है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस की इस जीत को इस रूप में भी प्रस्तुत करने लगे हैं कि दक्षिण में कांग्रेस ने भाजप...
क्या कांग्रेस का खेल आप करेगी फेल

क्या कांग्रेस का खेल आप करेगी फेल

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- सुरेश हिन्दुस्थानी गुजरात के विधानसभा चुनाव में अबकी बार अलग प्रकार की राजनीति होती दिखाई दे रही है। लम्बे समय से गुजरात में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होता था, लेकिन अब गुजरात की चुनावी राजनीति में आम आदमी पार्टी (आप) का प्रवेश भी हो चुका है। हालांकि आप गुजरात में कितना कुछ कर पाएगी, यह फिलहाल केवल संभावनाओं पर ही आधारित है, लेकिन वह कांग्रेस के सपनों पर पानी फेरती दिखाई दे रही है। आप ने जिस प्रकार से दिल्ली और पंजाब में अप्रत्याशित रूप से छप्पर फाड़ समर्थन प्राप्त किया, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। यह बात सही है कि गुजरात के मतदाताओं का स्वभाव दिल्ली और पंजाब से मेल नहीं खाता, इसलिए आप गुजरात में सफल हो जाएगी, इसकी गुंजाइश कम ही लगती है, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति असंभावित दृश्य को भी संभावित कर सकती है। इसके पीछे का कारण यह भी है कि देश का मतदाता तात्का...