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भारत का इतिहास कैसे लिखें?

भारत का इतिहास कैसे लिखें?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक असम के महान सेनापति लाचित बरफुकन की 400 वीं जयंति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय इतिहास को फिर से लिखा जाना चाहिए। यही बात कुछ दिनों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने भी कही थी। यह ठीक है कि प्रत्येक इतिहासकार इतिहास की घटनाओं को अपने चश्मे से ही देखता है। इस कारण उसके अपने रुझान, पूर्वाग्रह और विश्लेषण-प्रक्रिया का असर उसके निष्कर्षों पर अवश्य पड़ता है। इसीलिए हम देखते हैं कि एक इतिहासकार अकबर को महान बादशाह बताता है तो दूसरा उसकी ज्यादतियों को रेखांकित करता है। एक लेखक इंदिरा गांधी को भारत के प्रधानमंत्रियों में सर्वश्रेष्ठ बताता है तो दूसरा उन्हें सबसे अधिक निरंकुश शासक सिद्ध करता है। इस तरह के दोनों पक्षों में कुछ न कुछ सच्चाई और कुछ न कुछ अतिरंजना जरुर होती है। यह पाठक पर निर्भर करता है कि वह उन विवरणों से क्या निष्कर्ष निकालता है। भारत में...

असम में संघ कार्य के विस्तार में है विनायक राव कानेतकर का महत्वपूर्ण योगदान

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- प्रशांत बुजरबरुवा डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। इसके लगभग 21 साल बाद संघ कार्य के विस्तार के लिए 1946 में असम में तीन प्रचारक भेजे गए, जिनमें दादा राव परमार्थ, श्रीपद सहस्र भोजनी और कृष्ण परांजपे शामिल हैं। संघ के प्रचारक का अर्थ है कठिन जीवन। शिक्षा-दीक्षा पूरी करके घर के रोजमर्रा के कार्यों से दूर रहकर संघ कार्य के विस्तार में दिन-रात एक कर देना। संघ का मुख्य कार्य शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण है। प्रचारकों का कार्य शाखा विस्तार के साथ ही संघ के वैचारिक अधिष्ठान को बढ़ाना। भारतीय परंपरा में 'राज्य' शब्द का अर्थ पश्चिम के स्टेट या नेशन से काफी अलग है। राष्ट्र की कल्पना, राज्य पर आधारित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक रूप पर आधारित है। कई वर्षों की सोच के बाद भारत वर्ष में एक जीवन दर्शन का विकास हुआ है और उसके आधार पर एक जीवन पद्धति...