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जनजाति संस्कृति एवं कला को संर‍क्षित रखने में कलाकारों का योगदान महत्वपूर्णः राष्ट्रपति

जनजाति संस्कृति एवं कला को संर‍क्षित रखने में कलाकारों का योगदान महत्वपूर्णः राष्ट्रपति

देश, मध्य प्रदेश
इंदौर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु (President Draupadi Murmu) ने बुधवार शाम को इंदौर प्रवास के दौरान मृगनयनी एंपोरियम (Mrignayani Emporium) में बुनकरों द्वारा हाथकरघा पर तैयार की गई रेशम एवं कॉटन (silk and cotton) की चंदेरी, महेश्वरी साड़ियों को देखा। उन्होंने आदिवासी क्षेत्र के हस्तशिल्पी, बुनकरों एवं जनजाति कारीगरों के साथ चर्चा की और उनकी कला को सराहा। उन्होंने इन कलाकारों से चर्चा के दौरान कहा कि हमारी पुरानी संस्कृति (Old culture) एवं परम्परा को संजोकर एवं संरक्षित रखने की जरूरत है। यह कलाकार इसमें अच्छा योगदान दे रहे हैं। इन्हें प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जिससे इन कलाकारों को रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। राष्ट्रपति को इस मौके पर कलाकारों द्वारा अपने हाथों से निर्मित हस्तशिल्प भी भेंट किया गया। यह सभी कलाकार अपनी विधा में पारंगत हैं और राष्ट्रीय स्तर पर इनकी एक अलग ही पहचान है। यह सभी ...
करवट लेता भारतीय सिनेमा

करवट लेता भारतीय सिनेमा

अवर्गीकृत
- मृत्युंजय दीक्षित राजा हरिश्चंद्र से आज तक भारतीय सिनेमा ने न केवल तकनीकी विकास वरन कला और वैचारिक प्रधानता के भी कई दौर देखे हैं ।आज की पीढ़ी को एंग्री यंग मैन का समय स्मरण है जब सामाजिक समस्याओं से उकताए लोग सुनहरे पर्दे पर अमिताभ बच्चन को बीस-बीस गुंडों को मारने के काल्पनिक दृश्य देखकर तालियां बजाते अपनी कुंठा से बाहर निकलने का प्रयास करते थे। फिर खान बंधुओं की फिल्मों का समय प्रारम्भ हुआ और एंगर की जगह रोमांस ने ले ली। इन्हीं खान बंधुओं ने ग्रे शेड वाले हीरो को जन्म दिया और अपराध को महिमा मंडित करने लगे और लोग उनके लिए दीवाने होने लगे। इस सबके बीच सामानांतर सिनेमा भी चलता रहा । धीरे-धीरे दर्शकों में यह समझ उभरने लगी कि उनके साथ छल हो रहा है। उन्होंने अनुभव किया कि वामपंथी और तथाकथित सेक्युलर इस महत्वपूर्ण माध्यम का उपयोग वृहद हिंदू समाज और संस्कृति को अपमानित करने और युवा हिन्दू को अ...