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क्लास रूम तक ड्रग्स की दस्तक, शिक्षण संस्थाएं फिर भी चुप?

क्लास रूम तक ड्रग्स की दस्तक, शिक्षण संस्थाएं फिर भी चुप?

अवर्गीकृत
- डॉ. रमेश ठाकुर ड्रग्स तस्करी में छात्रों की गिरफ्तारी ने 'शिक्षा मंदिरों' की विश्वसनीयता पर सीधे सवाल खड़े कर दिए हैं। एनसीआर क्षेत्र के विभिन्न नामी शिक्षण संस्थाओं में फैला ‘ड्रग्स का सिंडिकेट खेल, कोई आज का नहीं, बहुत पहले का है। कॉलेजों के भीतर छिटपुट घटनाएं पूर्व में भी बहुतेरी हुई जिसे कॉलेज प्रशासन द्वारा दबाया गया। कई बार क्लास रूम में छात्रों ने नशे में साथी क्लासमेट के साथ खूनी वारदात को भी अंजाम दिया, फिर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया। इस पूरे खेल की जानकारियां शिक्षा संस्थाओं के टॉप मैनेजमेंट को बहुत पहले से थी। लेकिन, बदनामी का डर कहें, या शिक्षा की दुकानें बंद होने भय? इन दोनों के डर के चलते सच्चाई पर पर्दा डाला जाता रहा। स्थानीय पुलिस-प्रशासन के बड़े ओहदेदार अफसर इस बात को स्वीकारते हैं कि उन्हें पूरे तंत्र की जानकारियां मौखिक रूप से तो थी, लेकिन, ठोस सबूत और मुकम्मल सूचनाएं...
अपने ही प्रधानमंत्रियों का दुश्मन पाक

अपने ही प्रधानमंत्रियों का दुश्मन पाक

अवर्गीकृत
- आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी पर हैरान होने की जरूरत नहीं है। हालांकि वह रिहा हो चुके हैं। पाकिस्तान में इमरान से पहले भी कई प्रधानमंत्रियों को जेल की हवा खानी पड़ी है। सबसे पहले 1960 में सैनिक तानाशाह अयूब खान ने प्रधानमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी को जेल भेजा था। सुहारावर्दी देश के विभाजन से पहले बंगाल राज्य के प्रधानमंत्री थे। तब किसी राज्य के मुखिया को प्रधानमंत्री ही कहा जाता था। जब 1946 में जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन के आह्वान के बाद कोलकाता में हिंसा भड़की तब सुहारावर्दी ही बंगाल के प्रधानमंत्री थे। कहते हैं कि उन्होंने हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा को रुकवाने की कोई चेष्टा नहीं की थी। हिंसा को हवा जरूर दी। खैर, उनके बाद जुल्फिकार भुट्टो को जालंधर में पैदा हुए जिया उल हक ने जेल भेजा। उसके बाद भुट्टो को फांसी भी हुई। भुट्टो के बाद उनकी बेटी बेनजीर भ...