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आधुनिकता में विदेशी जीवनमूल्यों का प्रवाह

आधुनिकता में विदेशी जीवनमूल्यों का प्रवाह

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- हृदयनारायण दीक्षित आधुनिकता प्रायः आकर्षण होती है। नई होती है और ताजी प्रतीत होती है। लेकिन वास्तविक आधुनिकता विचारणीय है। आधुनिकता नकली भी होती है। दरअसल आधुनिकता स्वयं में कोई निरपेक्ष आदर्श या व्यवहार नहीं है। इसका सीधा अर्थ ही प्राचीनता का अनुवर्ती है। आधुनिकता प्राचीनता के बाद ही आती है। इसलिए हरेक आधुनिकता की एक सुनिश्चित प्राचीनता होती है। इसी तरह प्राचीनता की भी और प्राचीनता होती है। आधुनिकता को और आधुनिक कहने के लिए उत्तर आधुनिकता शब्द का चलन बढ़ा भी है। सच बात तो यही है कि प्राचीनता और आधुनिकता के विभाजन ही कृत्रिम हैं। काल अखण्ड सत्ता है। काल में न कुछ प्राचीन है और न ही आधुनिक। हम मनुष्य ही काल संगति में प्राचीनता या नवीनता के विवेचन करते हैं। प्राचीनता ही अपने अद्यतन विस्तार में नवीनता और आधुनिकता है। हम आधुनिक मनुष्य अपने पूर्वजों का ही विस्तार हैं। वे भी अपनी विषम परिस्थ...
विवाह भारतीय समाज की मजबूती का आधार

विवाह भारतीय समाज की मजबूती का आधार

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- हृदयनारायण दीक्षित आधुनिक सभ्यता के प्रभाव शुभ नहीं हैं। जीवन के सभी आयामों में आधुनिकता का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। परिवार खूबसूरत संस्था है। लेकिन आधुनिकता की चपेट में है। वस्तुतः आधुनिकता प्राचीनता का ही हिस्सा है और उसी का विकास है। भारत प्राचीन सभ्यता है। इस सभ्यता का सतत् विकास हुआ है। आधुनिकता और प्राचीनता को खण्डों में नहीं बांटा जा सकता। प्राचीन सभ्यता से विकसित होकर बनने वाली आधुनिकता स्वागत योग्य है। लेकिन वर्तमान भारत की आधुनिकता में विदेशी सभ्यता की वरीयता है। यह प्राचीन भारतीय सभ्यता, दर्शन और अनुभूति को पिछड़ापन मानती है। उधार की विदेशी आधुनिकता ने राष्ट्रजीवन के सभी क्षेत्रों को कुप्रभावित किया है। ऋग्वेद के रचनाकाल के पहले ही भारत की संस्कृति और सभ्यता का विकास हो चुका था। भारतीय सभ्यता में परिवार आत्मीय संगठन थे। परिवार के सभी सदस्यों के एक साथ रहने और रमने के सूत्र ...