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श्रद्धा की अभिव्यक्ति ही श्राद्ध

श्रद्धा की अभिव्यक्ति ही श्राद्ध

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- हृदयनारायण दीक्षित श्रद्धा भाव है और श्राद्ध कर्म। श्रद्धा मन का प्रसाद है। पतंजलि ने श्रद्धा को चित्त की स्थिरिता या अक्षोभ से जोड़ा है। श्रद्धा की अभिव्यक्ति श्राद्ध है। भारत में पूर्वजों पितरों के प्रति श्रद्धा की स्थाई भावना है। हम भारतवासी पूर्वजों के प्रति प्रतिपल श्रद्धालु रहते हैं लेकिन नवरात्रि उत्सवों के 15 दिन पहले से पूरा पखवारा पितर पक्ष कहलाता है। लोकमान्यता है कि इस पक्ष में पूर्वज पितर आकाश लोक आदि से उतरकर धरती पर आते हैं। हम सब पूरे वर्ष व्यस्ते रहते हैं। इसी में 15 दिन पितरों के प्रति गहन श्रद्धा का प्रसाद सुख निराला है। वैदिक निरूक्त में श्रत और श्रद्धा को सत्य बताया गया है। पितरों का आदर प्रत्यक्ष मानवीय गुण है। पिता और पूर्वज हमारे इस संसार में जन्म लेने का माध्यम हैं। वे थे, इसलिए हम हैं। वे न होते, तो हम न होते। उन्होंने पालन पोषण दिया। स्वयं की महत्वाकांक्षाएं छो...
पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

पूर्वजों को याद कर उन्हें नमन करने का पर्व है श्राद्ध

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- डॉ. श्रीगोपाल नारसन (एडवोकेट) प्रतिवर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से पितृपक्ष प्रारंभ हो जाता है, जो आश्विन अमावस्या तक अर्थात 16 दिनों तक चलता है। इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और श्राद्ध पक्ष का समापन 14 अक्टूबर को होगा। श्राद्ध पक्ष की अवधि में पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, जिससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि पितरों के प्रसन्न होने से वंशजों का भी कल्याण होता है। जो लोग पूरे श्राद्धपक्ष में अपने पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान न कर पाए हों वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन बिहार के गयाजी में पिंडदान करने का सबसे ज्यादा महत्व है। इस साल आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण भी लग रहा है। सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ...

श्राद्ध: पितरों का सबसे बड़ा पर्व

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- योगेश कुमार गोयल अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव का समापन हो जाता है और उसके अगले दिन से पितृ पक्ष शुरू होता है, जो प्रायः भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर पितृमोक्षम अमावस्या तक प्रायः 16 दिनों का होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष की तिथि इस वर्ष 10 सितम्बर से आरंभ होकर 25 सितंबर तक रहेगी। हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत अहम माना गया है लेकिन इस दौरान शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। पितृ पक्ष में सगाई, विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश, परिवार के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी, नए कपड़े खरीदना, कोई नया कार्य शुरू करना इत्यादि कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता। पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करते हैं। दरअसल हिन्दू धर्म में मृत्यु के पश्चात् पितरों की याद में श्राद्ध किया जा...