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श्रीराम मंदिर सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृतकाल

श्रीराम मंदिर सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अमृतकाल

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- श्याम जाजू अयोध्या में श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण और प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा मात्र एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और अभ्युदय का अमृतकाल है। सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि से भरे हमारे देश में सांस्कृतिक धरोहर हमारी पहचान है। धर्म, भाषा, रूपरेखा, शैली और विविध संस्कृतियों और जीवन शैलियों के बाद भी भारत एक है। उसकी आत्मा एक है। हम सब एक-दूसरे से अपनी सांस्कृतिक पहचान से जुड़े हुए हैं। इसी जुड़ाव को बढ़ाने की दिशा में प्रभु श्रीराम के मंदिर का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम है। अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर हमें अपनी साझी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को अक्षुण्ण रखने में मदद देगा। श्रीराम भारतीय संस्कृति के प्रेरणा पुरुष हैं। एक आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र हैं। हम भारतीय जिन सात्विक मानवीय गुणों को सदियों से पू...
अमृतकाल और अखंड भारत का प्रतिबिंब

अमृतकाल और अखंड भारत का प्रतिबिंब

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- जी. किशन रेड्डी लाल किले की प्राचीर से 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था- 'यह देश प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की ऐसी आधारशिला पर बना है, जहां वैदिक काल में हमें केवल एक ही मंत्र बताया जाता था…जिसे हमने सीखा है, जिसे हमने याद किया है–'संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।' अर्थात हम साथ चलते हैं, हम साथ आगे बढ़ते हैं, हम साथ मिलकर सोचते हैं, हम मिलकर संकल्प लेते हैं और हम साथ मिलकर इस देश को आगे ले जाते हैं। प्रधानमंत्री ने तब एक ऐसे भारत के लिए अपना दृष्टिकोण अर्थपूर्ण तरीके से सामने रखा जिसमें प्रत्येक भारतीय का साझा लक्ष्य था। उन्होंने ऐसे भविष्य का संकेत दिया था, जहां जनभागीदारी सबसे मजबूत हथियार के रूप में और विश्व गुरु के रूप में सत्ता के शिखर पर उभरेगी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कैलेंडर पर एक महत्वपूर्ण तिथि अंकित की 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में 31 अक्टूबर। यह भार...
अमृतकाल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति

अमृतकाल और राष्ट्रीय शिक्षा नीति

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- धर्मेन्द्र प्रधान ज्ञान शक्ति है। भारत की समृद्ध ज्ञान क्षमता वेदों और उपनिषदों में स्पष्ट है। यह वैदिक ग्रंथ सदियों से ज्ञान के विशाल स्रोत के रूप में कार्य कर रहे हैं। नालंदा और तक्षशिला जैसे हमारे प्राचीन भारतीय विश्वविद्यालय हमारी धरोहर हैं। यह अकाट्य सत्य है कि भारत अतीत में अंतरराष्ट्रीय ज्ञान का केंद्र रहा है। समय के साथ, भारत की ज्ञान शक्ति और संपदा ने मुगल, मंगोल, ब्रिटिश, डच और पुर्तगालियों सहित बहुत लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा, जिन्होंने इतिहास की विभिन्न अवधियों में भारत पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत के ज्ञान संपदा की भी अत्यधिक हानि हुई। लेकिन यह सर्वविदित और स्वीकृत तथ्य है कि आक्रमणकारी हमारी भूमि को लूट सकते थे और हमारे विश्वविद्यालयों को नष्ट कर सकते थे, लेकिन वे हमारी भूमि के गुरुओं और योगियों से सदैव पराजित हुए। दूसरी औद्योगिक क्रांति के दौरान ब्रिटेन ने द...
बजट शानदार, आवंटन ईमानदार

बजट शानदार, आवंटन ईमानदार

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- मुकुंद अमृतकाल के पहले केंद्रीय बजट की लगभग सभी ने तारीफ की है। आमतौर पर बजट पेश होने के बाद हाय-तौबा मचाने वाले शांत हैं। इस खामोशी के मायने हैं कि बजट शानदार है। इसमें हर क्षेत्र को ईमानदार आवंटन किया गया है। तभी तो केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के समापन पर मेजें थपथपाई गईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रारंभिक प्रतिक्रिया में कहा है कि देश के विकास को इस बजट से नई ऊर्जा मिलेगी। प्रधानमंत्री ने साहसिक बजट के लिए वित्तमंत्री को बधाई दी है। उन्होंने कहा अमृत काल का पहला बजट विकसित भारत के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करेगा। ये बजट वंचितों को वरीयता देता है। ये बजट आज की आकांक्षी समाज, गांव, गरीब, किसान, मध्यम वर्ग सभी के सपनों को पूरा करेगा। संभवतः यह पहला ऐसा बजट है जिस पर विपक्ष के घाघ नेता भी कटाक्ष करने से बच रहे हैं। इसका सीधा अर्...
अमृतकाल में शिक्षा को जरूरत है संजीवनी की

अमृतकाल में शिक्षा को जरूरत है संजीवनी की

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- गिरीश्वर मिश्र आज के युग में किसी देश की उन्नति बहुत हद तक वहां की शिक्षा की गुणवत्ता पर ही निर्भर करती है। सूचना, ज्ञान और प्रौद्योगिकी की स्पर्धा में ज्यादा से ज्यादा बढ़त पाने को सभी देश आतुर हैं। आज जब देश ‘सशक्त’ और ‘आत्म निर्भर’ बनने को आतुर है तो शिक्षा दशा दिशा पर विचार और भी जरूरी हो जाता है हालांकि भारत ने विद्या, ज्ञान और शिक्षा का भौतिक और पारमार्थिक दोनों स्तरों पर महत्व बहुत पहले से पहचान रखा था। ज्ञान सबसे पवित्र था और ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में जितनी प्रगति थी उसकी बदौलत भारत को विश्व गुरु का दर्जा भी मिला था। परंतु औपनिवेशिक काल में शिक्षा पर ताला ऐसा पड़ा शिक्षा के भारतीय ज्ञान को ले कर जो संशय और उदासीनता हुई और हम ज्ञान के क्षेत्र में अनुकरण करने वाले होते गए। ज्ञान की परनिर्भरता ने सुदृढ़ होती गई और पश्चिम (यूरो-अमेरिकी मॉडल) को एकल, मानक और वैश्विक विकल्प मान ब...
सरदार पटेल: आजादी का अमृतकाल और अखंड भारत के स्वप्न का विस्तार

सरदार पटेल: आजादी का अमृतकाल और अखंड भारत के स्वप्न का विस्तार

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- डॉ. अशोक कुमार भार्गव संपूर्ण भारत के लिए अदम्य शक्ति और फौलादी संकल्प के महानायक लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल आधुनिक भारत निर्माण के मुख्य शिल्पकार हैं। उन्होंने 565 देसी रियासतों का स्वतंत्र भारत में एकीकरण कर राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की। इनके अतुल्य योगदान के बिना भारतीय मानचित्र का भव्य स्वरूप आज जैसा है वैसा दिखाई नहीं देता। उनके समग्र अवदान को कृतज्ञ राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में नमन कर रहा है। वल्लभ भाई का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। सरदार पटेल ने ब्रितानी हुकूमत की अमानवीय बेगार प्रथा समाप्त कराने के बाद 1918 में खेड़ा के किसानों के लिए सत्याग्रह किया। किन्तु सरकार ने कर वसूली स्थगित नहीं की। पटेल ने शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष का आह्वान किया और किसानों का विश्वास अर्जित करते हुए स्वयं विदेशी वस्तुओं का त्याग किया और धोती, कुर्ता ...

अमृतकाल में 2047 तक साकार होंगे राष्ट्र निर्माताओं के सभी सपने : राष्ट्रपति मुर्मू

देश
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने स्वतंत्रता दिवस (Independence day) को भारतीयता का उत्सव बताते हुए पिछले 75 वर्षों के दौरान देश की विकास यात्रा (country's development journey) का अभिनंदन किया तथा आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक के कालखंड को अमृतकाल की संज्ञा दी। राष्ट्रपति मुर्मू ने 76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या (eve of 76th independence day) पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि भारत में आजादी मिलने के बाद देश में लोकतंत्र की सफलता को लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाओं को नकार दिया तथा लोकतंत्र की जड़ें गहरी होती गईं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के कारण देश का आर्थिक विकास अधिक समावेशी हो रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं। राष्ट्रपति ने देशवासियों के सामने स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक के कालखंड के लक्ष्यों का भी जिक्र किया। उन्होंन...