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अखंड भारत: जो सपना जिंदा रहता है वही पूरा होता है

अखंड भारत: जो सपना जिंदा रहता है वही पूरा होता है

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- डॉ. पवन सिंह अखंड भारत हमारे लिए केवल शब्द नहीं है। यह हमारी श्रद्धा, भाव, देशभक्ति व संकल्पों का अनवरत प्रयास है जिसे प्रत्येक देशभक्त जीवंत महसूस करता है। हम इस भूमि को माँ मानते हैं और पुत्रवत इस भूमि की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। हम कहते भी हैं- माताभूमि: पुत्रोहंपृथिव्या:। इसलिए माँ का प्रत्येक कष्ट हमारा अपना कष्ट है और एक माँ खंडित रहे, कष्ट में रहे, यह उसके पुत्र कैसे स्वीकार कर सकते हैं। समय -समय पर भारत खंडित कैसे हुआ, कौन-सी गलतियां हम से हुई। वो कौन से कारण रहे जिन्होंने इसकी पृष्ठ्भूमि लिखी इन सबका चिंतन, विभाजन की पीड़ा व पुनः अखंड होने का विश्वास व संकल्प ही इसका एक मात्र हल है । जब भारत की लाखों आँखों में पलने वाला यह अखंड भारत का सपना करोड़ों- करोड़ों हृदयों की धड़कन बन कर धड़कने लगेगा, तभी यह संभव होगा। अखंड भारत स्वप्न नहीं हकीकत है: अखंड भारत का स्वप्न कुछ लोगों को...
सरदार पटेल: आजादी का अमृतकाल और अखंड भारत के स्वप्न का विस्तार

सरदार पटेल: आजादी का अमृतकाल और अखंड भारत के स्वप्न का विस्तार

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- डॉ. अशोक कुमार भार्गव संपूर्ण भारत के लिए अदम्य शक्ति और फौलादी संकल्प के महानायक लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल आधुनिक भारत निर्माण के मुख्य शिल्पकार हैं। उन्होंने 565 देसी रियासतों का स्वतंत्र भारत में एकीकरण कर राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा की। इनके अतुल्य योगदान के बिना भारतीय मानचित्र का भव्य स्वरूप आज जैसा है वैसा दिखाई नहीं देता। उनके समग्र अवदान को कृतज्ञ राष्ट्र राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में नमन कर रहा है। वल्लभ भाई का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। सरदार पटेल ने ब्रितानी हुकूमत की अमानवीय बेगार प्रथा समाप्त कराने के बाद 1918 में खेड़ा के किसानों के लिए सत्याग्रह किया। किन्तु सरकार ने कर वसूली स्थगित नहीं की। पटेल ने शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष का आह्वान किया और किसानों का विश्वास अर्जित करते हुए स्वयं विदेशी वस्तुओं का त्याग किया और धोती, कुर्ता ...

अखंड भारत शब्द नहीं, हमारा संकल्प है

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- डॉ. पवन सिंह अखंड भारत हमारे लिए केवल शब्द नहीं है । यह हमारी श्रद्धा, भाव, देशभक्ति व संकल्पों का अनवरत प्रयास है, जिसे प्रत्येक देशभक्त जीवंत महसूस करता है । हम इस भूमि को मां मानते है और पुत्रवत इस भूमि की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं । हम कहते भी हैं माताभूमि: पुत्रोहंपृथिव्या:। इसलिए मां का प्रत्येक कष्ट हमारा अपना कष्ट है और एक मां खंडित रहे। कष्ट में रहे। यह उसके पुत्र कैसे स्वीकार कर सकते हैं । समय -समय पर भारत खंडित कैसे हुआ, कौन सी गलतियां हमसे हुईं । वो कौन से कारण रहे जिन्होंने इसकी पृष्ठभूमि लिखी इन सबका चिंतन, विभाजन की पीड़ा व पुनः अखंड होने का विश्वास व संकल्प ही इसका एक मात्र हल है । जब भारत की लाखों आंखों में पलने वाला यह अखंड भारत का सपना करोड़ों- करोड़ों हृदयों की धड़कन बन कर धड़कने लगेगा, तभी यह संभव होगा । अखंड भारत का स्वप्न कुछ लोगों को असंभव लगता हो । लेकिन यदि ह...

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस और अखंड भारत का संकल्प

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- डॉ. रामकिशोर उपाध्याय अब भारत में 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाया जाएगा। इससे पहले भी कुछ लोग इसे 'अखंड भारत संकल्प दिवस' के रूप में स्मरण करते आए हैं। कुछ इस पर मौन रहते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसके विरोध में वक्तव्य देते रहते हैं। विभाजन की विभीषिका और अखंड भारत के संकल्प पर चर्चा करने से पहले कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की उस बैठक के एक दृश्य को स्मरण कर लेते हैं जिसमें कांग्रेस ने बंटवारे को अंतिम रूप से स्वीकार कर लिया था। इस बैठक में डॉ. राममनोहर लोहिया भी उपस्थित थे। लोहिया के शब्दों में 'इसके पहले कि गांधीजी अपनी बात पूरी कर पाते, श्री नेहरू ने तनिक आवेश में आकर बीच में उन्हें टोका और कहा कि उनको वे पूरी जानकारी बराबर देते रहे हैं। महात्मा गांधी के दुबारा दुहराने पर कि उन्हें विभाजन की योजना के बारे में जानकारी नहीं थी, श्री नेहरू ने अपनी पहले कही बा...