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कोहरा: हवाई और रेल यात्रा की कब सुध ली जाएगी?

कोहरा: हवाई और रेल यात्रा की कब सुध ली जाएगी?

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- ऋतुपर्ण दवे आमजन की यात्रा सुविधा के नाम पर संचालित सरकारी सेवाएं बेहद गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही हैं। चाहे हवाई यात्रा हो या रेल, हर रोज करोड़ों लोग परेशान हो रहे हैं। इनमें वो भी हैं जिन्हें हर हालत में अपनी नियत तिथि पर वांछित गंतव्य पर पहुंचना होता है और वो भी जिन्हें दो कनेक्टिविटी के सहारे यात्रा पूरी करनी पड़ती है। भारत में सही समय पर यात्रा पूरी होने की न तो किसी की गारंटी है और न ही कोई इस बदहाली को चुनौती ही दे सकता है। हर रोज पूरे देश में बड़ी संख्या में हवाई और रेल सेवाएं लेटलतीफी का शिकार हो रही हैं। जिसके जवाब में प्री रिकॉर्डेड चार शब्द ‘असुविधा के लिए खेद है’ काफी हैं। इन दिनों तो घने कोहरे के चलते स्थिति और भी बदतर है। देश में औसतन ढाई से तीन हजार फ्लाइट्स रोजाना लगभग 4,56,000 यात्रियों को मुकाम तक पहुंचाती हैं। वहीं 8 अक्टूबर 2023 का एक आंकड़ा बताता है कि रेल...
हवा में घुलता जहर-सांसों पर कहर

हवा में घुलता जहर-सांसों पर कहर

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- योगेश कुमार गोयल दीवाली से कई दिन पहले ही दिल्ली-एनसीआर की हवा में जहर घुल चुका है। वायु प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ रहा है कि दमघोंटू हवा में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। वैसे तो वर्तमान में मुंबई में भी वायु गुणवत्ता ‘मध्यम’ श्रेणी में दर्ज की गई है और वहां बीएमसी द्वारा बिगड़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं लेकिन देश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तो वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। दिल्ली हो या नोएडा अथवा आसपास के अन्य इलाके, एक्यूआई 300 के ऊपर जा चुका है तथा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह 400 के पार पहुंच जाएगा, तब लोगों को सांस लेने में काफी तकलीफ महसूस होने लगेगी। वैसे अभी से सांस संबंधी परेशानियों के साथ बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचने लगे हैं। ‘सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च’ (सफर) के अनुसार दिल्ली-ए...
प्रदूषण से मुक्ति के लिए गंभीरता की दरकार

प्रदूषण से मुक्ति के लिए गंभीरता की दरकार

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- डॉ. अनिल कुमार निगम दिल्ली और एनसीआर की हवा में एक बार फिर जहर घुल गया है। दीपोत्सव का त्योहार अभी दूर है लेकिन देश की राजधानी की हवा की गुणवत्ता का इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार चला गया है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। हर वर्ष प्रदूषण का कारण दिवाली में आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जलाई जाने वाली पराली को मानकर कुछ चंद उपाय कर लोगों को प्रदूषण के दंश को झेलने के लिए छोड़ दिया जाता है। पिछले लगभग एक दशक में अक्टूबर से जनवरी के बीच हर साल यह समस्या गहरा जाती है। दिल्ली सरकार भी ‘जब आग लगे तो खोदो कुआं’ वाली कहावत चरितार्थ करते हुए प्रदूषण कम करने के चंद उपाय करती है जिससे कुछ तात्कालिक राहत भी मिल जाती है, लेकिन इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले जाने के बारे में गंभीर प्रयास देखने को नहीं मिलते। प्रदूषण की गंभीरता को यहां से समझना चाहिए कि अक्...