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पूर्व राष्ट्रपति कलाम के बाद अब दूसरा बड़ा वैश्विक संदेश

अवर्गीकृत
- सियाराम पांडेय 'शांत' द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना ऐतिहासिक परिघटना तो है, यह भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक भी है। इससे देश-दुनिया में बड़ा राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश गया है। इस देश को महिला राष्ट्रपति तो पहले भी मिल चुकी हैं लेकिन आदिवासी महिला राष्ट्रपति पहली बार मिली हैं। उपेक्षित, शोषित, वंचित आदिवासी समाज की वे आवाज बनकर उभरेंगी, यह संदेश दुनिया भर को देने की कोशिश की गई है। इस तरह का संदेश वर्ष 2002 में तब गया था जब प्रख्यात वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम इस देश के राष्ट्रपति चुने गए थे। तब भारत ही नहीं दुनिया भर के मुस्लिम समाज में यह संदेश गया था कि भारत का राष्ट्रपति मुस्लिम है और उससे भी पहले वह पढ़ा-लिखा नेक इंसान है। द्रौपदी मुर्मू के चुनाव में यह भी साबित हुआ है कि कोई भी राजनीतिक दल नहीं चाहता कि आदिवासी समाज उनसे नाराज हो। इसीलिए अधिकांश राजनीतिक दलों ने द्रौपदी म...